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भारत-पाक वार्ता में पहले भी हर बार उठे कई मुद्दे

भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार शाम को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात कर रहे हैं। हमेशा की ही तरह दोनों देशों के नेताओं के पास कई मुद्दे हैं। लेकिन इतने कम समय में कितने मुद्दों पर बातचीत हो सकेगी यह देखना काफी अहम होगा। भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों या राष्ट्र

By Edited By: Published: Thu, 30 Aug 2012 12:27 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2012 12:29 PM (IST)
भारत-पाक वार्ता में पहले भी हर बार उठे कई मुद्दे

नई दिल्ली। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गुरुवार शाम को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात कर रहे हैं। हमेशा की ही तरह दोनों देशों के नेताओं के पास कई मुद्दे हैं। लेकिन इतने कम समय में कितने मुद्दों पर बातचीत हो सकेगी यह देखना काफी अहम होगा।

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भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों या राष्ट्रध्यक्षों के बीच मुलाकात बेहद कम हो पाती है। इसकी वजह है दोनों देशों के बीच फैला तनाव। दोनों देशों के बीच कई सारे ऐसे मुद्दे हैं जिनपर दोनों देशों के अस्तित्व में आने के बाद से कई बार बैठकें हो चुकी हैं लेकिन उसपर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा जा सका है। कश्मीर और सियाचिन का मुद्दा भी इन्हीं में से एक है। यह ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिनपर बात शुरू होते ही खत्म हो जाती है। इन दोनों ही मुद्दों पर कई बार दोनों देशों के विदेश सचिव, केबिनेट सचिव और विदेश मंत्री कई बार बैठक कर चुके हैं, लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला है।

मुंबई हमला और इससे जुड़े आतंकियों को भारत को सौंपने का मुद्दा भी हमेशा की तरह आज भी गरम है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना, आतंकवाद को खत्म करना, सीमा विवाद, पाक जेलों में बंद भारतीय कैदियों का मुद्दा जिसमें सरबजीत की रिहाई, पाक में हिंदूओं से बदसलूकी का मुद्दा भी शामिल है, सियाचिन में सैनिकों की कटौती समेत कई मुद्दे हैं जिन पर दोनों देशों के बीच लगातार बैठकों का दौर जारी है।

इस वर्ष 8 अप्रैल को भारत आए पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। छोटी सी इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। इस मौके पर एक साझा बयान भी जारी किया गया। इसी दौरान जरदारी ने मनमोहन को पाकिस्तान आने का भी न्यौता दिया, जिसे मनमोहन सिंह ने स्वीकार कर लिया।

इसके बाद 24-25 मई को दोनों देशों बीच गृह सचिव स्तरीय बातचीत हुई। इसमें भारत के गृह सचिव आरके सिंह पाकिस्तान के गृह सचिव के बीच संशोधित वीजा समझौते समेत पाक जेलों में बंद भारतीय कैदियों, सरबजीत और पाक में मौजूद भारतीय भगोड़ों के मुद्दों पर चर्चा हुई थी। बातचीत के विस्तृत एजेंडे के अनुसार आतंकवाद, भारतीय कानून के भगौड़े, मादक पदार्थ और भारतीय मछुआरों तथा पाकिस्तानी जेलों में भारतीय नागरिक जैसे मानवीय मुद्दों पर चर्चा हुई। इससे पहले दोनों सचिवों के बीच मई 2011 में नई दिल्ली में हुई थी। इसके बाद 4-5 जुलाई में दोनों देशों में विदेश सचिव स्तरीय वार्ता हुई थी।

मुंबई हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय तक बातचीत रुकी रही। लंबे समय के बाद भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की जुलाई में बैठक हुई। जिसमें चरमपंथ समेत लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध चरमपंथी सैयद जबीउद्दीन अंसारी उर्फ अबु जुंदाल, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापाक हाफिज सईद और उसके ऑपरेशन कमाडर जकीउर रहमान लखवी को खुद को सौंपे जाने की माग भी उठी।

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