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कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अदालती कामकाज के तरीकों में किया बदलाव

आर्थिक तंगी के कारण वकील को फीस देने की स्थिति में नहीं है उन्हें विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अब वकील उपलब्ध कराया जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 10:08 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 10:08 PM (IST)
कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अदालती कामकाज के तरीकों में किया बदलाव
कोरोना के चलते छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अदालती कामकाज के तरीकों में किया बदलाव

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर।  कोरोना संक्रमण के दौर में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अदालती कामकाज के तरीकों में भारी बदलाव किया है। ऐसे व्यक्ति जिनका मामला कोर्ट में चल रहा है और आर्थिक तंगी के कारण वकील को फीस देने की स्थिति में नहीं है उन्हें विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अब वकील उपलब्ध कराया जा रहा है। इस सुविधा के लिए पक्षकारों को प्राधिकरण के दफ्तर जाकर अर्जी लगानी पड़ती है। साथ ही प्रकरण की जानकारी भी देनी पड़ती है। इसके बाद पक्षकारों को ऑनलाइन वकील उपलब्ध हो जाते हैं।

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हाई कोर्ट की इस योजना में हाई कोर्ट के अलावा अधीनस्थ न्यायालयों के वकील शामिल हैं। खास बात ये की वकीलों की सहमति के बाद ही प्राधिकरण ने उनका नाम और मोबाइल नंबर जारी किया है।

ये है ई-संपर्क क्रांति योजना

विधिक सेवा प्राधिकरण ने ब्रोनो एप बनाया है। इस एप में वकीलों की सूची है। उनके नाम के साथ ही मोबाइल नम्बर है। इसके जरिये पक्षकार सीधे संपर्क कर वकीलों से बात कर सकेंगे और अपना मामला भी दे सकेंगे। प्राधिकरण ने इसे ई संपर्क क्रांति योजना नाम दिया है।

कोरोना संक्रमण के दौरान सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावित

कोरोना संक्रमण के दौरान सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावित हो रही है। ब्लैक बोर्ड की जगह ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था तो कर दी गई, लेकिन स्मार्टफोन न होने के कारण समस्या खड़ी हो गई। ऐसे में राजधानी से लगे पाटन विकासखंड के अमलेश्वरडीह गांव की कुछ महिलाएं कालेज में पढ़ने वाली अपनी सरपंच से प्रेरित होकर बच्चों की पढ़ाई कराने के लिए आगे आई है। ये महिलाएं उन बच्चों को दो घंटे के लिए अपना मोबाइल दे रही हैं, जिनके पास मोबाइल नहीं है।

'पढ़ई तुंहर दुआर' पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई

'पढ़ई तुंहर दुआर' पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पढ़ाई रोज दोपहर 12 बजे शुरू होती है। गांव की सरपंच 23 वर्षीया नंदिनी पठारी खुद रायपुर के डिग्री ग‌र्ल्स कॉलेज में स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई कर रही हैं। शिक्षक परेशान थे कि वह किस तरह हर बच्चे तक पठन-पाठन की सुविधा उपलब्ध कराएं। नंदिनी ने शिक्षकों के सहयोग से गांव की महिलाओं को प्रेरित करना शुरू किया। सरपंच ने बताया कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पढ़ी-लिखी महिलाओं के साथ-साथ कालेज की छात्राएं भी सामने आई हैं।


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