SC/ST एक्ट के नाम पर हिंसा, करोड़ों का नुकसान, जानिए- कानून में क्या है प्रावधान, कैसे होगी भरपाई
सोमवार को भारत बंद का असर सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड में देखने को मिला।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दो अप्रैल को दलित संगठनों द्वारा भारत बंद के दौरान हुई हिंसक घटनाओं में 11 लोगों की मौत हो गई है, जबकि आगजनी और तोड़फोड़ में सरकारी व निजी संपत्तियों को भारी नुकसान भी पहुंचाया गया। ऐसे में सवाल भी खड़े होते हैं कि आखिरकार लोगों की मौत और सरकारी व निजी संपत्ति के नुकसान का जिम्मेदार कौन है? कौन इस नुकसान की भरपाई करेगा? क्या कहता है कानून?, अाइए जानते हैं।
भारत बंद का राज्यों पर असर
सोमवार को भारत बंद का असर सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड में देखने को मिला। जहां दलित संगठनों द्वारा जबरन दुकानों को बंद कराया गया। हालात ऐसे थे कि छात्रों के कोचिंग सेंटर में तोड़फोड़ की गई , निजी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया और रेल सेवाओं को भी बाधित किया गया। यहां तक की कई वाहनों को आग के हवाले तक कर दिया गया। पुलिस पर पथराव का भी मामला सामने आया।
भारत बंद का हरियाणा पर असर
दलित प्रदर्शनकारियों ने जहां हरियाणा में दर्जनभर से अधिक रोडवेज बसें को क्षतिग्रस्त कर दिया। बाजारों में तोड़फोड़ की और ट्रेनों को भी रोका। हरियाणा में हुई हिंसक झड़प में करीब 300 से अधिक लोग घायल हो गए, जबकि राज्य को करीब डेढ़ सौ करोड़ का नुकसान हुआ।
मध्यप्रदेश पर भारत बंद का असर
मध्यप्रदेश के हालत सबसे ज्यादा खराब रहे। जहां ग्वालियर, चंबल में काफी हिंसक मामले सामने आए। डबरा में ट्रेन को जबरन रोका गया तो वहीं वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की गई। हिंसक प्रदर्शन में करीब 6 लोगों की जान चली गई, जबकि करीब 280 लोग घायल हो गए। भारत बंद के कारण राज्य को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा।
भिंड, मुरैना और ग्वालियर भी आज भी कर्फ्यू जारी
दलित संगठनों के भारत बंद के आह्वान पर सोमवार को मध्यप्रदेश में कुछ जगहों पर हिंसा की घटनाओं के बाद आज (मंगलवार) स्थिति नियंत्रण में है। हालांकि ग्वालियर, भिंड और मुरैना में आज भी कर्फ्यू जारी है। हिंसक प्रदर्शन में राज्य में मृतकों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। इस बीच कर्फ्यूग्रस्त ग्वालियर, मुरैना और भिंड जिलों में पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है और अब वह संदिग्ध आरोपियों की धरपकड़ में जुट गई है। बता दें कि सोमवार की हिंसा में ग्वालियर में तीन, भिंड में तीन और मुरैना में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जबकि कम से कम 30 लोग लोग घायल हुए हैं, इनमें पुलिस वाले भी शामिल हैं। फिलहाल हालात को देखते हुए मुरैना में रातभर पुलित की गश्त चलती रही। मंगलवार सुबह भी लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया गया। इस बीच कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। वहीं, ग्वालियर में भी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात है। वहीं, भिंड जिले को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। भिंड जिले के लहार, मेहगांव, गोहद और भिंड शहर में कर्फ्यू जारी है। स्कूल, कॉलेज, कोचिंग बंद करा दिए गए हैं। लोगों से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है। बता दें कि सोमवार को भिंड में हाथ में लाठियां लेकर प्रदर्शनकारियों ने भीड़ सड़क पर उतर आई और बाजार बंद जबरन बाजार बंद कराने के बाद सड़क पर चलने वाले वाहनों में भी जमकर तोड़फोड़ की।
यूपी के हालात
उत्तर प्रदेश में भारत बंद के कारण हापुड़, मुजफ्फरनगर, आगरा, मेरठ समेत आधा दर्जन जिलों में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने करीब दो दर्जन गाड़ियों को फूंक दिया। मेरठ में पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। हिंसक प्रदर्शन में मुजफ्फरनगर में एक शख्स की मौत हो गई, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए। घायलों में दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।
पंजाब में प्रदर्शनकारियों का उपद्रव
प्रदर्शनकारियों ने जबरन बाजार, सभी शिक्षण संस्थानों, सरकारी व प्राइवेट बसें बंद करा दी। यहां तक की उग्र प्रदर्शन के कारण शताब्दी, शान-ए-पंजाब एक्सप्रेस सहित कुछ ट्रेनों को भी रद करना पड़ा। डीएमयू के शीशे तोड़े गए, एक दर्जन चारपहिया व दुपहिया वाहनों में तोड़फोड़ की गई। हिंसा में 15 लोग घायल हो गए।
हिंसक प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश
हिंसक प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई दिशानिर्देश जारी है। ऐसे में प्रदर्शन के नाम पर तोड़फोड़ और उपद्रव मचाने वालों को कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। सड़कों पर उतर कर सरकारी-निजी संपत्ति और आमजन को निशाना बनाए जाने से बचाने के लिए प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 1984 निष्प्रभावी साबित हो रहा था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्वत: संज्ञान लिया और वर्ष 2007 से 2017 के बीच तीन दिशा-निर्देश जारी किए।
पहला दिशा निर्देश
2007 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों तथा पुलिस को इस बाबत दिशा-निर्देश जारी किए। इसके तहत विरोध प्रदर्शन, रैली या बंद का आयोजन करने वाले राजनीतिक दलों या संगठन के नेताओं को इसकी पूर्व में लिखित अनुमति लेने और नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार बनाए जाने की बात कही। सरकारों ने कहा कि वे विरोध प्रदर्शन की वीडियोग्राफी कराना सुनिश्चित करें। अभी 23 राज्यों में सरकारी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए कानून बनाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में पहल
उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार ने विरोधियों के धरना-प्रदर्शन से परेशान होकर प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 2011 की रूपरेखा तय की, लेकिन तैयार नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और हाइकोर्ट के आदेश पर जुर्माने की नोटिस या कुछ वसूली मात्र की गई।
मुआवजे का प्रावधान
आंध्र प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान पीड़ित लोगों को मुआवजा दिए जाने संबंधी अधिवक्ता कोशी जैकब की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को मुआवजे का प्रावधान संबंधी आदेश 2009 में दिया।
जवाबदेही तय हो
28 जनवरी, 2017 को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को दिशा-निर्देश जारी किए। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को कोर्ट गठित कर उनसे धरना-प्रदर्शन के दौरान हुई क्षति की जवाबदेही तय करने और मुआवजा दिलाने का आदेश दिया।