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मनमर्जी से क्लीनिक में दवाएं नहीं रख पाएंगे डॉक्टर, नियमों में बदलाव करने की तैयारी में सीडीएससीओ

सीडीएससीओ को जानकारी मिली थी कि कई डॉक्टर क्लीनिक में मेडिकल स्टोर्स की तर्ज पर बड़ी संख्या में दवाएं रखते हैं। मरीजों से फीस के साथ ही वे दवाओं के पैसे भी लेते हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 11 Feb 2020 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 10:29 PM (IST)
मनमर्जी से क्लीनिक में दवाएं नहीं रख पाएंगे डॉक्टर, नियमों में बदलाव करने की तैयारी में सीडीएससीओ
मनमर्जी से क्लीनिक में दवाएं नहीं रख पाएंगे डॉक्टर, नियमों में बदलाव करने की तैयारी में सीडीएससीओ

भोपाल, जेएनएन। आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो कई बार वे अपनी अलमारी से दवा निकाल कर दे देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि अभी ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट में यह साफ नहीं है कि डॉक्टर कौन-सी और कितनी दवा अपने पास रख सकेंगे। बहरहाल अब इस पर सख्ती होने वाली है। इसके लिए सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड एवं कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट के शेड्यूल 'K' में बदलाव की तैयारी कर रहा है। यह बदलाव होने के बाद डॉक्टरों को अति जरूरी दवाएं रखने की ही अनुमति मिलेगी।

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नियम बनने और लागू होने के बाद डॉक्टरों को दवा दुकानों की तरह दवाओं का पूरा ब्योरा रखना होगा। उनके पास दवा कहां से आई और उन्होंने किसे दी, इसका भी हिसाब रखना होगा। इसके अलावा उपलब्ध स्टॉक की जानकारी भी रखनी होगी।

फीस के साथ लेते हैं दवाओं के पैसे 

सीडीएससीओ को जानकारी मिली थी कि कई डॉक्टर क्लीनिक में मेडिकल स्टोर्स की तर्ज पर बड़ी संख्या में दवाएं रखते हैं। मरीजों से फीस के साथ ही वे दवाओं के पैसे भी लेते हैं। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों में साफ है कि जहां से दवाएं दी जाती हैं वहां फार्मासिस्ट होना जरूरी है। लिहाजा फार्मासिस्ट एसोसिएशन द्वारा भी डॉक्टरों के दवाएं रखने और मरीजों को देने का विरोध किया जा रहा है।

इस कारण सीडीएससीओ इसमें बदलाव करने जा रहा है। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) ने समिति (कमेटी) बना दी है। इसके अधीन कुछ उप समितियां भी बनाई गई हैं। उप समितियों में मध्य प्रदेश के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा को भी शामिल किया गया है। करीब छह महीने के भीतर नियम में बदलाव की उम्मीद है।

50 साल से डॉक्टरों को दवा रखने की छूट

ड्रग एवं कास्मेटिक एक्ट में करीब 50 साल पहले शेड्यूल 'के' शामिल किया गया था। इसमें डॉक्टरों को दवाएं रखने की छूट दी गई थी। संख्या व मात्रा भी तय नहीं थी। इसकी वजह यह थी कि ग्रामीण इलाकों में दवा दुकानें काफी कम होती थीं। ऐसे में कोई मरीज डॉक्टर के पास आपात स्थिति में जाए तो उसे कम से कम जरूरी दवाएं मिल सकें।

मध्य प्रदेश की डिप्टी ड्रग कंट्रोलर शोभित कोष्टा ने कहा कि ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट के शेड्यूल 'के' में बदलाव का प्रस्ताव है। इसके लिए समिति और उप समिति बनाई गई है। इनकी बैठकें हो रही हैं। इसके बाद नियम में बदलाव का अंतिम प्रारूप तैयार किया जाएगा।


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