नहीं रहे श्वेत क्रांति के जनक कुरियन
भारत में श्वेत क्रांति के जनक डाक्टर वर्गीस कुरियन का शनिवार देर रात निधन हो गया। वह नब्बे वर्ष के थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही गुजरात में ही नाडियाड के एक किडनी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका अंतिम संस्कार रविवार शाम चार बजे किया जाएगा।
आनन्द। भारत में श्वेत क्रांति के जनक डाक्टर वर्गीस कुरियन का शनिवार देर रात निधन हो गया। वह नब्बे वर्ष के थे। उन्हें कुछ दिन पहले ही गुजरात में ही नाडियाड के एक किडनी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका अंतिम संस्कार रविवार शाम चार बजे किया जाएगा।
डाक्टर कुरियन के दम से ही भारत दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना। भारत सरकार ने उनकी उपलब्धि के लिए उन्हें पद्दश्री, पद्म भूषण से भी सम्मानित किया था।
1921 में केरल के कालीकट में जन्मे डाक्टर वर्गीस कुरियन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में आगे की पढ़ाई करने के लिए वह अमेरिका चले गए। भारत वापस आकर उन्होंने भारत को दूध में आत्मनिर्भर बनाने की ठान ली और अपने मिशन के लिए गुजरात के आनन्द को चुना। आणंद से उन्होंने आपरेशन फ्लड या श्वेत क्रांति की शुरुआत की और लोगों को उनकी ताकत के बारे में जानकारी भी दी।
डाक्टर कुरियन के आने के बाद आणंद को एक विश्व स्तर पर एक नई पहचान मिली और भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश बना। आनन्द की जिस सहकारी समीति की डाक्टर कुरियन ने शुरुआत की उसका ही दूध आज अमूल के नाम से घर-घर में आता है। डाक्टर कुरियन आखिर तक आनन्द और यहां के लोगों से जुड़े रहे। उनके निधन के बाद पूरे आणंद बल्कि पूरे गुजरात में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका अंतिम संस्कार आज शाम किया जाएगा।
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