डॉक्टरों को इंदौर में कोविड-19 की ज्यादा घातक प्रजाति होने की आशंका, NIV भेजे जाएंगे नमूने
मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को इस बात की आशंका है कि इंदौर में कोविड-19 की ज्यादा घातक प्रजाति (virulent strain) वहां तबाही मचा रही है।
भोपाल, पीटीआइ। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को आशंका है कि मध्य प्रदेश के इंदौर में कोविड-19 की ज्यादा घातक प्रजाति (virulent strain) वहां तबाही मचा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इंदौर में संक्रमित मरीजों के नमूनों को जांच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology, NIV) पुणे भेजा जाएगा ताकि ऐसी आशंकाओं का निराकरण हो सके और स्पष्ट हो सके कि इंदौर में लोगों की जान ले रही कोविड-19 की नस्ल देश के बाकी हिस्सों में तबाही मचा रहे वायरस से और ज्यादा घातक तो नहीं है।
महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (Mahatma Gandhi Memorial Medical College) इंदौर की डीन ज्योति बिंदल (Jyoti Bindal) ने पीटीआई से कहा कि हमें ऐसा लग रहा है कि इंदौर बेल्ट में कोविड-19 की जो नस्ल (strain) है वह ज्यादा घातक है। इस आशंका की बाबत हमने राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे के साथ चर्चा की है। हम इंदौर के कोरोना मरीजों के नमूनों को NIV पुणे भेजने जा रहे हैं ताकि वायरस के जीनोम तत्व (extraction of virus genome) को निकालकर उसकी तुलना देश के अन्य संक्रमितों के नमूनों के साथ की जा सके।
बता दें कि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे भारत का महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्थान है। ज्योति बिंदल (Jyoti Bindal) ने यह भी कहा कि इंदौर में उच्च मृत्यु दर (high fatality rate) की दूसरी वजह मरीजों का देर से अस्पताल आना भी है। वहीं, एक अन्य डॉक्टर ने बताया कि इंदौर बेल्ट में मरीजों के जो नमूने लिए जा रहे हैं उनमें केवल यह पता लगाया जा रहा है कि वह कोरोना से संक्रमित है या नहीं। जांच में यह नहीं पता लगाया जा रहा है कि मरीज कोविड-19 की किस प्रजाति से संक्रमित है। उल्लेखनीय है कि इंदौर में अब तक कोविड-19 से संक्रमित 57 लोगों की मौत हो चुकी है।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित स्कूल ऑफ एक्सिलेंस, पल्मोनरी मेडिसिन (School of Excellence in Pulmonary Medicine) के निदेशक जीतेन्द्र भार्गव (Jitendra Bhargava) ने भी डीन ज्योति बिंदल (Jyoti Bindal) की आशंकाओं से सहमत दिखे। उन्होंने कहा कि इंदौर में कोविड-19 से बड़े पैमाने पर हो रही मौतों (high mortality rate) की वजहें जानने के लिए इस घातक वायरस की आनुवांशिक जानकारियों (viral culture) के साथ साथ आरएनए तत्व (RNA extraction) की जांच भी जरूरी है।
हालांकि जीतेन्द्र भार्गव (Jitendra Bhargava) ने यह भी बताया कि इस बात को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है कि उन मरीजों में मृत्यु दर ज्यादा है जो मुधमेह, हृदय रोग, गुर्दे एवं हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह भी कि जान गवांने वाले लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का आभाव भी एक वजह है। दरअसल, नॉवेल कोरोना वायरस को लेकर आए दिन नए नए खुलासे हो रहे हैं। यही वजह है कि शोधकर्ता भी किसी मुकम्मल वजह पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि अभी तक इसके कोई सुबूत नहीं है कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं और वे दूसरी बार कोरोना वायरस संक्रमण से सुरक्षित हैं।