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केंद्र सरकार ने की नीट पीजी में आरक्षण की तरफदारी, सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है अपना फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने नीट दाखिले के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ओबीसी के लिए 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 फीसद आरक्षण प्रदान करने के केंद्र सरकार के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 06 Jan 2022 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 12:43 AM (IST)
केंद्र सरकार ने की नीट पीजी में आरक्षण की तरफदारी, सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता है अपना फैसला
नीट दाखिले के लिए कोटा सीटों में आरक्षण देने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में प्रवेश की परीक्षा नीट पीजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। नीट पीजी की काउंसलिंग आरक्षण के पेंच में फंसकर रुकी हुई है। शीर्ष अदालत इस पर फैसला शुक्रवार को सुनाएगी। इसके बाद काउंसलिंग शुरू होने की उम्मीद है। गुरुवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम दो दिन से मामले पर सुनवाई कर रहे हैं।

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हमें राष्ट्रहित को देखते हुए जल्दी ही काउंसलिंग शुरू करनी होगी। उधर, रेजीडेंट डाक्टर्स काउंसलिंग में देरी के विरोध में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। काउंसलिंग जल्दी शुरू करने के लिए डाक्टर्स फेडरेशन ने भी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट में नीट पीजी के आल इंडिया कोटे में 27 प्रतिशत ओबीसी और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की तरफदारी की।

नीट पीजी में आरक्षण को चुनौती देने वालों की ओर से आल इंडिया कोटे में आरक्षण लागू करने का पुरजोर विरोध किया गया और कहा गया कि नीट पीजी परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में नियम नहीं बदले जा सकते। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने की। केंद्र सरकार ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए आठ लाख सालाना आय की सीमा को सुप्रीम कोर्ट में सही ठहराया।

केंद्र सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कमेटी ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद आठ लाख सालाना आय की सीमा को सही माना है। मेहता ने कहा कि सालाना आय की यह सीमा व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि परिवार की आय सीमा है। अगर किसी परिवार में तीन सदस्य हैं और तीनों की तीन-तीन लाख रुपये सालाना आय है तो वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में नहीं आएगा।

मेहता ने कहा कि वह एक भ्रम खत्म करना चाहते हैं कि नीट की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में नियमों में बदलाव हुआ और आल इंडिया कोटे में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू किया गया, लेकिन ऐसा नहीं है। जिस कोटे का विरोध याचिकाकर्ता कर रहे हैं वह नीट के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को छोड़ कर सभी जगह 2019 से लागू है।

नीट का जब ब्रोशर जारी हुआ था, उसी में कह दिया गया था कि सरकार के नियमों के मुताबिक आरक्षण लागू होगा। आरक्षण की स्थिति काउंसलिंग शुरू होते समय बताई जाएगी। 29 जुलाई को सरकार ने नीट के यूजी और पीजी पाठ्यक्रम के आल इंडिया कोटे में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू करने की घोषणा की। यह पहला मौका नहीं था, जब सरकार ने आरक्षण लागू किया हो।

इससे पहले ही केंद्रीय शिक्षण संस्थानों जैसे आइआइटी, एनआइटी, और केंद्रीय विश्वविद्यालयों आदि में ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू है। मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कोई भी पूर्व फैसला नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि पीजी में आरक्षण लागू नहीं होगा। याचिकाकर्ता प्रदीप जैन के जिस फैसले का हवाला दे रहे हैं, वह फैसला पीजी के बारे में नहीं, बल्कि डोमीसाइल आरक्षण के बारे में है। सरकार ने आरक्षण के पक्ष में और भी दलीलें दीं।

दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं के वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए तय की गई आठ लाख रुपये सालाना आय की सीमा मनमानी है। इसके पीछे कोई अध्ययन नहीं हुआ है। इस देश में बहुत भिन्नताएं हैं। आय और संपत्ति के बारे में पूरे देश के लिए आठ लाख सालाना आय की समान सीमा कैसे तय की जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट अनुच्छेद 142 में आदेश देकर 2.5 लाख की सीमा का आदेश दे।


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