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'मतभेद का गला न घोटें', जानिए- किस मामले में सुप्रीम कोर्ट को करनी पड़ी यह अहम टिप्पणी

सर्वोच्च अदालत ने कहा-लोकतंत्र में मतैक्य होना बेहद जरूरी। एनजीओ में विदेशी फंडिंग को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 09:58 AM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 10:00 AM (IST)
'मतभेद का गला न घोटें', जानिए- किस मामले में सुप्रीम कोर्ट को करनी पड़ी यह अहम टिप्पणी

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के गैर सरकारी संगठनों की विदेशी फंडिंग पर रोक संबंधी मामले में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि किसी को भी मतभेद का गला नहीं घोंटना चाहिए, बल्कि लोगों को सवाल पूछने के लिए बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में मतैक्य होना भी एक बेहद अहम पहलू है।

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जस्टिस एल.नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने मंगलवार को यह टिप्पणी एक एनजीओ इंसाफ (इंडिया सोशल एक्शन फोरम) की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। इस याचिका में फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट (एफसीआरए), 2010 और अन्य नियमों की धारा 5 (1) और 5 (4) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इसी कानून के तहत केंद्र सरकार ने गैर सरकारी संगठनों की विदेशी फंडिंग को रोक रखा है।

इस कानून के जरिये केंद्र सरकार को किसी भी ऐसे संगठन की रोकथाम करेगी जो एक राजनीतिक दल न होते हुए भी राजनीतिक दल के तौर पर काम कर रहा हो। इस आधार पर ऐसे एनजीओ को विदेश से मिलने वाले फंड पर प्रतिबंध लगा हुआ है।

लिहाजा खंडपीठ ने इसी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि आप अलग राय रखने वालों का मुंह नहीं बंद कर सकते हैं। याचिकाकर्ता के वकील संजय पारेख ने एफसीआरए में संविधान के अनुच्छेद 14,19 (1)(ए), 19 (1)(सी) और 21 के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। एनजीओ ने इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2011 में याचिका को खारिज कर दिया था।


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