भीमा कोरेगांव की 201वीं वर्षगांठ को लेकर प्रशासन अलर्ट, लोगों को दी ये हिदायत
भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी।
पुणे, एएनआइ। भीमा कोरेगांव लड़ाई की 201वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले समारोह को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। स्थानीय प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगली आनेवाली एक जनवरी को बीती जनवरी की तरह फिर से हिंसा न भड़के। पुणे के डीएम नवल किशोर ने कहा कि हम लोगों से अपील करते हैं कि सोशल मीडिया पर फेक मैसेज आदि को फॉरर्वर्ड न करें। इस साल हम 10 से 15 गुना ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम करेंगे, हमने रक्षात्मक निर्देश जारी कर दिए हैं।
हेट कैंपेन से बचने के लिए ग्रामीणों की मदद ले रही प्रशासन
सोशल मीडिया पर 'हेट कैंपेन' का मुकाबला करने के लिए, पुलिस ने परने गांव और इसके आस-पास के गांव के कुछ प्रभावशाली निवासियों से एक 'पॉजिटिव' वीडियो पोस्ट करने को कहा है ताकि लोग यहां बिना ड़रे आ सकें। इस गांव में एक जयस्तंभ नाम का पिलर है, जिसे अंग्रेजों ने 1818 के युद्ध में पेशवाओं को हराने के प्रतीक के तौर पर स्थापित किया था।
पुलिस अधीक्षक (पुणे ) संदीप पाटिल ने बुधवार को कहा कि 1 जनवरी के समारोह को लेकर सोशल मीडिया पर कई पोस्ट ऐसे दिखाई दे रहे जो दंगा भड़का सकते हैं । इसका मुकाबला करने के लिए हम कम्युनिटी पुलिसिंग का सहारा ले रहे हैं व सरपंचों और कुछ प्रभावशाली ग्रामीणों सहित स्थानीय लोगों के संक्षिप्त वीडियो अपलोड कर रहे हैं, जिसमें वे आनेवालों से 1 जनवरी को बिना किसी डर के आने की अपील कर रहे हैं।
वीडियो से हो रही है अपील
पाटिल ने कहा कि वे शांति सुनिश्चित करने के हर संभव कोशिश कर रहे हैं । ऐसी ही एक क्लिप में पराने गांव के सरपंच रूपेश थोंबारे को देखा जा सकता है, जिसमें वे आनेवालों से यह अपील करते हुए दिखाई दे रहे हैं कि 1 जनवरी को गांव में उनका गुलाब और पानी की बोतल के साथ स्वागत किया जाएगा।
एक अन्य वीडियो में, शिकारपुर गांव के सरपंच जयश्री भुजबल यह कहते दिखाई दे रहे है कि उनके गांव में यह सुनिश्चित किया गया है कि यहां कोई भी दुकान, होटल या अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान 1 जनवरी को बंद नहीं रहेंगी। पाटिल ने कहा कि पुलिस 1 जनवरी से पहले 'सौहार्दपूर्ण वातावरण' बनाने के लिए तत्पर है।
1818 की लड़ाई में पेशवा शासकों पर बड़ी संख्या में महार सैनिकों सहित ब्रिटिश सेना की जीत की याद में लाखों दलित हर साल 1 जनवरी को विजयस्तंभ पर इकट्ठा होते हैं।
सोशल मीडिया सेल तत्पर
एसपी ने कहा कि 1 जनवरी के आयोजन में,भीमा कोरेगांव, लोणीकंद, संसावाड़ी, पर्ने, शिकरापुर की ग्राम पंचायतों के पदाधिकारी, सरपंच, पदाधिकारी वीडियो के माध्यम से अपील कर रहे हैं कि यहां आनेवालों के लिए भोजन, पानी, परिवहन और पार्किंग सहित सभी व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा किया जाएगा ।
पाटिल ने यह भी कहा कि ग्रामीण पुलिस का सोशल मीडिया सेल इन उत्तेजक संदेशों पर नज़र रखे हुए है और वे असामाजिक तत्वों पर नज़र रखने के लिए संबंधित पुलिस थानों और मुख्यालयों को भी सूचित कर रहे हैं।
बता दें कि एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक आयोजित समारोह में हिंसा होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने दो दिनों तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया था। इस बंद के दौरान फिर से तोड़-फोड़ और आगजनी हुई। सरकारी संपत्ति का काफी नुकसान इस दौरान हुआ था। इसके बाद पुणे के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस रवीन्द्र कदम ने भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।
गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। महार जाति के लोगों ने इस लड़ाई में अंग्रेजों की ओर से जंग लड़ी थी। इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेजों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था। महार जाति के लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं।