Move to Jagran APP

मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही, दो लाख लोगों ने धनराशि भी ली और शौचालय भी नहीं बनवाए

मध्य प्रदेश में वर्ष 2012 में बेसलाइन सर्वे हुआ था। इसमें 62 लाख हितग्राही ऐसे चिह्नित किए गए थे जिनके घरों में शौचालय निर्माण होना था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 10:00 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 10:00 PM (IST)
मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही, दो लाख लोगों ने धनराशि भी ली और शौचालय भी नहीं बनवाए
मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही, दो लाख लोगों ने धनराशि भी ली और शौचालय भी नहीं बनवाए

भोपाल, जेएनएन। मध्य प्रदेश में वर्ष 2010 से चल रहे शौचालय निर्माण में गड़बड़ियों का सिलसिला थम नहीं रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 62 लाख शौचालय निर्माण करवाने का दावा किया जा रहा है, मगर स्वच्छागृही से जब घरों का सर्वे करवाया गया तो साढ़े चार लाख आवासों में शौचालय मिले ही नहीं। वहीं, दो लाख से ज्यादा हितग्राहियों ने प्रोत्साहन राशि तो ली, लेकिन शौचालय नहीं बनवाया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब इस रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टरों के माध्यम से सत्यापन करवा रहा है। हालांकि, विभागीय अधिकारी रिपोर्ट के इन तथ्यों को पूरी तरह सही नहीं मान रहे हैं, क्योंकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि जिन घरों का सर्वे हुआ, वे उन 62 लाख हितग्राहियों के हैं या नए।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने प्रत्येक शौचालय को दिए 12 हजार रुपये

प्रदेश में वर्ष 2012 में बेसलाइन सर्वे हुआ था। इसमें 62 लाख हितग्राही ऐसे चिह्नित किए गए थे, जिनके घरों में शौचालय निर्माण होना था। इसके लिए केंद्र सरकार ने प्रत्येक शौचालय के हिसाब से 12 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी। शुरुआती दौर में पंचायतों को राशि देकर निर्माण कार्य करवाए गए। इस दौरान गुना, सीहोर, रायसेन, सागर, टीकमगढ़, शिवपुरी, खंडवा, बालाघाट सहित अन्य जिलों में बड़े पैमाने पर शौचालय नहीं बनने, मगर भुगतान होने के मामले सामने आए। जांच के बाद जिला पंचायत से लेकर पंचायत सचिव तक पर कार्रवाई की गई और वसूली भी हुई।

प्रदेश में इस गड़बड़ी को रोकने के लिए हितग्राही के खाते में सीधे राशि डालने की व्यवस्था बनाई गई। पोर्टल पर फोटो भी अपलोड करवाई। भौतिक सत्यापन के लिए स्वच्छागृही नियुक्त कर सर्वे करवाया गया। इनकी रिपोर्ट में साढ़े चार लाख शौचालय नहीं होने की बात सामने आई। वहीं, दो लाख ऐसे हितग्राही भी चिह्नित किए गए, जिन्होंने प्रोत्साहन राशि तो ली पर निर्माण नहीं किया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2012 के बेसलाइन सर्वे में करीब साढ़े छह लाख परिवार छूट गए थे। इन्हें भी अब योजना में शामिल किया गया है, जो सर्वे हुआ है, उसमें कौन-कौन से परिवार शामिल हैं, इसकी पड़ताल करवाई जाएगी।

यादव ने की मुख्यमंत्री से जांच कराने की मांग

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने इस मामले में मुख्यमंत्री कमलनाथ से जांच करवाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब मैं प्रदेश अध्यक्ष था, तब भी शौचालय घोटाले का मुद्दा उठाया था। वहीं, लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने ट्वीट कर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछा कि बताएं, यह खेल किसने और किसकी शह पर किया। पूरे मामले की पड़ताल होनी चाहिए।

करा रहे हैं सत्यापन: वर्मा

राज्य कार्यक्रम अधिकारी अनुराग वर्मा ने बताया कि जिलों में सत्यापन करवाया जा रहा है। एक-दो माह में यह काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद तस्वीर पूरी तरह साफ होगी कि जिनके घरों में शौचालय नहीं होने की बात सामने आ रही है, वे पात्रता की श्रेणी में आते भी हैं या नहीं।

दोषी को नहीं छोड़ेंगे: पटेल

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार के समय कई अनियमितताएं हुई हैं। अभी रिपोर्ट नहीं देखी है पर इतना तय है कि गड़बड़ी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.