महाकाल पर भस्म अर्पित करने के बयान पर महानिर्वाणी अखाड़े में रार
महामंगल के क्षरण को रोकने के लिए भी मंगलनाथ मंदिर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है।
उज्जैन, नईदुनिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भगवान महाकाल को सूती कपड़े से ढककर भस्म अर्पित करने और आरओ का जल चढ़ाने के मामले में महानिर्वाणी अखाड़े में ही विवाद छिड़ गया है। 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद गुरुवार शाम महंत प्रकाशपुरी ने कहा था कि मंदिर समिति ने कोर्ट से क्या कहा है, इसकी हमें जानकारी नहीं है। हम तो परंपरा अनुसार ही भस्म चढ़ाएंगे और कोटितीर्थ कुंड का जल अर्पित करेंगे।
शुक्रवार शाम महंत ने अपने बयान का खंडन कर दिया। उन्होंने इस बयान के लिए स्थानीय अखाड़ा परिषद के सचिव परमहंस अवधेशपुरी को जिम्मेदार बताया और उनको अखाड़े से बहिष्कार करने की विज्ञप्ति जारी कर दी। उन्होंने कहा, मैं महाकाल मंदिर प्रबंध समिति का पदेन सदस्य हूं। समिति का सहयोग करना मेरा दायित्व है।
सुप्रीम कोर्ट में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षरण सहित अन्य बिंदुओं को लेकर याचिका विचाराधीन है। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए थे कि क्षरण रोकने के लिए आरओ का पानी उपयोग में लाया जाए और भस्मारती में कपड़ा ढंककर भस्म अर्पित की जाए। इसे लेकर अखाड़ों की बैठक के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महंत प्रकाशपुरी ने कहा था कि वे परंपरा अनुसार ही कपड़ा हटाकर भस्मी अर्पित करेंगे। इसके लिए कोई समय भी निर्धारित नहीं है। जितना समय लगेगा उतना समय लेंगे। जल भी कोटितीर्थ कुंड का ही उपयोग होगा।
शुक्रवार को मामला पूरी तरह बदल गया। प्रकाशपुरी ने श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के लेटर पेड पर विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि हमने संत-महंत और अखाड़ों के प्रतिनिधियों का दीपावली मिलन समारोह रखा था। इसमें भस्मारती को लेकर कोई बात नहीं हुई। परमहंस अवधेशपुरी ने मीडिया को गलत जानकारी दी है, इसलिए उनका अखाड़े से बहिष्कार किया जाता है।
कपड़े पर ही चढ़ाई भस्म
महानिर्वाणी अखाड़े ने मंदिर समिति के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत सारे अभिमत स्वीकार कर लिए हैं। इसका असर शुक्रवार तड़के हुई भस्मारती में नजर आया। अखाड़े के प्रतिनिधि गणेश दासजी ने शिवलिंग पर कपड़ा ढककर ही भस्मी अर्पित की। दिनभर जल भी आरओ का ही चढ़ता रहा।
मंगलनाथ में सवा लीटर पंचामृत से अभिषेक शुरू
महामंगल के क्षरण को रोकने के लिए भी मंगलनाथ मंदिर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। शुक्रवार को भक्तों को सवा लीटर पंचामृत से ही अभिषेक करने दिया गया, वहीं भगवान को सिर्फ हर्बल कुमकुम अर्पित किया गया। मंदिर समिति का कहना है कि जल्द ही काशी से हर्बल गुलाल लाकर भगवान का श्रृंगार करने की व्यवस्था की जाएगी।
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