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Mumbai Terror Attackः अब तक सदमे से नहीं उबर पाया है शहीद हेमंत करकरे का बेटा

मुंबई पर दस साल पहले आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए एटीएस चीफ हेमंत करकरे का पूरा परिवार ही उजड़ गया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 01:20 PM (IST)Updated: Tue, 27 Nov 2018 01:20 PM (IST)
Mumbai Terror Attackः  अब तक सदमे से नहीं उबर पाया है शहीद हेमंत करकरे का बेटा
Mumbai Terror Attackः अब तक सदमे से नहीं उबर पाया है शहीद हेमंत करकरे का बेटा

भोपाल, नईदुनिया [राजीव सोनी]। मुंबई पर दस साल पहले आतंकी हमले के दौरान शहीद हुए एटीएस चीफ हेमंत करकरे का पूरा परिवार ही उजड़ गया। करकरे की पत्नी दो साल पहले ब्रेन हेमरेज में चल बसी, दोनों बेटियां विदेश में हैं और बेटा अब तक सदमे से नहीं उबर पा रहा। करकरे का बेटा आकाश अब अपने मामा के घर में शरण लिए है। घर के कोने-कोने में बसी परिवार की यादें उसे बेचैन करती थीं, इसलिए उसने भी घर छोड़ दिया।

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आतंकियों की गोली से शहीद हुए थे करकरे

मुंबई पर हुए 26/11 के हमले में मारे गए 166 लोगों के अलावा आतंकियों की गोलियों से मुंबई एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे और एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर सहित 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। आतंकियों की गोली के शिकार हुए करकरे की इकलौती छोटी बहन नेहा हर्षे आज भी सदमे से नहीं उबर पाईं। वह कहती हैं 'मेरा तो पूरा मायका ही उजड़ गया।" इन दस वर्षों में करकरे का पूरा परिवार ही बिखर गया।

भोपाल में रहती है बहन

मप्र में भोपाल के होशंगाबाद रोड पर निवासरत करकरे की छोटी बहन नेहा और उनके बहनोई जयंत हर्षे आज भी वह मंजर नहीं भुला पा रहे। हर साल 26/11 की बरसी आते ही नेहा गुमसुम हो जाती हैं। मीडिया में घटना की चर्चा होने लगती है, जिससे उनके पुराने जख्म फिर ताजा हो जाते हैं। तीन-चार दिन तक वह सामान्य नहीं हो पाती। आज भी वह घटना के बारे में किसी से कोई बात नहीं करना चाहती। भावनात्मक रूप से नेहा अपने बड़े भाई हेमंत से बहुत ज्यादा जुड़ी थीं। उसकी शादी में कन्यादान भी हेमंत ने ही किया था। माता-पिता की कमी भी हेमंत ने कभी महसूस नहीं होने दी।

'मां के आर्गन कर दिए दान"

करकरे के बहनोई जयंत हर्षे बताते हैं कि घटना के समय हेमंत के तीनों बच्चे छोटे थे, उनकी मनोदशा पर गहरा असर पड़ा। करीब दो साल पहले नाश्ता करते समय उनकी पत्नी कविता करकरे को ब्रेन हेमरेज हुआ और वह भी चल बसी। इस घटना के बाद पूरा परिवार ही टूट गया। वह बताते हैं ऐसी नाजुक घड़ी में तीनों बच्चों ने बड़ी हिम्मत दिखाई। उन्होंने अपनी मां के सभी आर्गन, यहां तक 'स्किन" भी दान करने का फैसला कर लिया। उनका तर्क था कि इस तरह दूसरे लोगों में 'मां जिंदा रहेगी।"

ठुकरा दिए मदद के प्रस्ताव

जयंत बताते हैं कि घटना के बाद भारत सरकार ने पेट्रोल पंप देने का प्रस्ताव दिया। गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मदद का संदेश भिजवाया। बाबा रामदेव भी सांत्वना व सहायता देने घर पहुंचे, लेकिन हेमंत के बच्चों ने सभी के हाथ जोड़ लिए। हेमंत के ससुर भी मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर पद से रिटायर हुए थे। जयंत बताते हैं कि हेमंत अपने परिजनों पर जान छिड़कते थे। नार्कोटिक्स सहित पुलिस की जिस ब्रांच में भी वह रहे, उन्होंने अपनी विशेष छाप छोड़ी।


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