World Diabetes Day: इन लोगों को डायबिटीज ले सकता है गिरफ्त में, इस मौसम में ऐसे रखें खास ख्याल
World Diabetes Day 2019 वैसे तो मौसम का प्रभाव सभी व्यक्तियों पर पड़ता है लेकिन जो लोग मधुमेह (डायबिटीज) के साथ जिंदगी जी रहे हैं उनके लिए यह मौसम कई समस्याएं बढ़ा सकता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। World Diabetes Day 2019: सर्दियों के आगमन के साथ ही अनेक प्राकृतिक बदलाव देखने को मिलते हैं। मनुष्य भी प्रकृति से जुड़ा है। इसलिए ये प्राकृतिक बदलाव मनुष्य के शरीर को भी प्रभावित करते हैं। इन कुदरती बदलावों का अन्य लोगों की तुलना में डायबिटीज वाले लोगों पर कहीं ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए सर्दियों में डायबिटीज वालों को अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। आज 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे है। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि आप किस तरह की सावधानी बरतते हुए इससे बच सकते हैं।
क्या हैं कारण
सर्द हवा के कारण शरीर में ऐसे हॉर्मोंस का निर्माण होता है, जो शुगर बढ़ा सकते हैं। खासकर तनावग्रस्त होने पर। इसके अलावा कुछ अन्य कारणों से भी ब्लड शुगर बढ़ सकती है। जैसे ...
खाने में बदलाव: सर्दियों में ठंडी हवा के कुप्रभाव से बचने के लिए ऐसे पदार्थों का ज्यादा सेवन किया जाता है, जो मीठे या चिकनाईयुक्त होते हैं। जैसे गुड़ की चिक्की, रेवड़ी, लड्डू आदि। ऐसे खाद्य पदार्थ वजन बढ़ाने के अलावा शुगर भी बढ़ाते हैं।
नियमित व्यायाम न करना : सर्दियों के मौसम में कई दिनों तक धूप न निकलने और अधिक कोहरा होने से लोगों में आलस्य बढ़ जाता है। इस कारण अनेक लोग व्यायाम नहीं कर पाते। नतीजतन उनका शुगर और वजन दोनों ही बढ़ता है। जाड़े के मौसम में सर्दी, जुकाम और अन्य संक्रामक रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। डायबिटीज वालों में किसी भी तरह की बीमारी शारीरिक तनाव बढ़ाती है। इस कारण शुगर बढ़ती है।
डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर
ऐसे व्यक्ति जिन्हें डायबिटीज के साथ हाई ब्लड प्रेशर या फिर हृदय रोग की भी समस्या है तो उन्हें भी अपना इस मौसम में विशेष ध्यान रखना होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि सर्द हवा के कारण खून गाढ़ा हो जाता है। इस कारण रक्त का संचार (सर्कुलेशन) प्रभावित होता है और रक्त का थक्का(क्लॉट) बनने की संभावना बढ़ जाती है। इन सारे बदलावों के बावजूद कुछ बातों का ध्यान रखकर सर्दियों में शुगर को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
ऐसा हो खानपान
अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा पोषक तत्वों को वरीयता दें। हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन ज्यादा करें। हरी पत्तेदार सब्जियों में फाइबर, फोलिक एसिड, पोटैशियम और विटामिन के. आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व शुगर और वजन के नियंत्रण में सहायक हैं।
उपलब्ध फलों जैसे अमरूद, आंवला, पपीता और सेब आदि में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। ये फल शुगर को नियंत्रित करने में भी लाभप्रद हैं।डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए साबुत अनाजों जैसे गेहूं, जौ, बाजरा और ज्वार आदि का सेवन भी लाभकारी है, परंतु तेलयुक्त और तले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। सर्दियों के मौसम में ज्यादा चिकनाई युक्त मिठाइयां खाने के बजाय मेवे जैसे बादाम व अखरोट आदि का सेवन करें।
महत्वपूर्ण सुझाव
सर्दियों में डायबिटीज की दवाओं जैसे इंसुलिन का भी खास ध्यान रखना चाहिए। इंसुलिन को 2 से 25 सेंटीग्रेड तापमान में रखा जा सकता है। यह ध्यान रहे कि इंसुलिन जमे नहीं, अन्यथा इंसुलिन के कार्य करने की क्षमता क्षीण हो जाती है। डॉक्टर की सलाह से आप विटामिन डी सप्लीमेंट शुरू करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि सर्दियों में यह विटामिन शरीर में कम मात्रा में बनता है। ब्लड शुगर की जांच नियमित रूप से करें। शुगर नियंत्रण में न हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
व्यायाम के बारे में
सर्दियों में सर्द हवा और कोहरे के कारण अगर व्यायाम करना संभव न हो, तब घर के अंदर ही ट्रेडमिल आदि पर व्यायाम किया जा सकता है। घर में ही योग और प्राणायाम करें। सर्दियों में व्यायाम करने के लिए दोपहर के समय का भी सदुपयोग किया जा सकता है। जाड़े में लिफ्ट का प्रयोग न करके ज्यादा से ज्यादा सीढ़ियों का प्रयोग करें। ऑफिस या मार्केट जाते समय गाड़ी का इस्तेमाल कम करके ज्यादा से ज्यादा पैदल चलने की कोशिश करें। आजकल अनेक ऑफिसों में जिम की भी सुविधा उपलब्ध है, जिसका उपयोग करके नियमित रूप से व्यायाम किया जा सकता है।
बचें डायबिटिक फुट से
डायबिटीज के मरीजों को पैरों की समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है। पैरों की ये समस्याएं अक्सर डायबिटीज की दो जटिलताओं के कारण होती है - नर्व या तंत्रिका संबंधी क्षति (न्यूरोपैथी) और रक्त के संचार में गड़बडी। न्यूरोपैथी के कारण पैरों की संवेदना खत्म हो जाती है। इस कारण दर्द या कष्ट का अहसास करने की क्षमता समाप्त हो जाती है और आपको पैरों में होने वाली चोट या जलन का पता नहीं चलता है। पैरों में रक्त के संचार में खराबी आने के कारण पैरों में होने वाले जख्म के ठीक होने की क्षमता कम हो जाती है। इस कारण बहुत छोटा सा कट लगने पर भी संक्रमण होने का खतरा होता है।
मर्ज की गंभीरता को समझें
जब डायबिटीज का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है तो मरीज की जान बचाने के लिए या उसके अंग को बचाने के लिए पैर को काटना भी पड़ सकता है।
लक्षण
- त्वचा का बेरंग होना।
- सुन्नपन या सनसनाहट।
- पैरों में संवेदना कम होना।
- बिना दर्द वाले छाले या अन्य जख्म।
- मवाद के साथ अथवा मवाद के बिना घाव होना।
इलाज
डायबिटिक फुट की समस्याओं का इलाज स्थिति की गंभीरता के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है।
सर्जरी के बगैर इलाज उपचार: डायबिटिक फुट की समस्याओं का इलाज करने के लिए सर्जरी रहित विधियों का उपयोग करते हैं। ये तरीके हैं, जैसे
- घावों को साफ रखना और ड्रेसिंग।
- पैर को स्थिर रखने वाला उपकरण पहनना।
सर्जरी से इलाज
जब सर्जरी रहित उपचार से डायबिटिक फुट की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है तो डॉक्टर सर्जरी के बारे में विचार कर सकते हैं।
पैरों पर दें ध्यान
- हर समय जूते और मोजे पहनें। कभी भी नंगे पैर न चलें।
- हर दिन अपने पैरों को धोएं। उन्हें सावधानी से सुखाएं, खासकर पंजों के बीच।
- हर दिन अपने पैरों की जांच करें। यह देखें कि पैर में लाल धब्बे, कटने-फटने, सूजन और फफोले आदि तो नहीं हैं।
- अपने पैरों को गर्म पानी में न डालें। अगर ऐसा करते हैं तो आपके पैर जल सकते हैं और आपको इसका आभास भी नहीं होगा।
डॉ.अंबरीश मित्तल
सीनियर एंडोक्राइनोलॉजिस्ट
मेदांता दि मेडिसिटी, गुरुग्राम