सुस्त कल कारखानों पर नोटबंदी का ग्रहण
नोटबंदी से औद्योगिक उत्पादन दर किस तरह से प्रभावित हुआ है, इसे समझने के लिए शुक्रवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े के कुछ हिस्से को देखना होगा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के उद्योग धंधों की स्थिति इस पूरे वित्त वर्ष के दौरान कोई खास नहीं रही है। ताजे आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी ने घरेलू उद्योग धंधों व कल-कारखानों को और चपत लगा गई है। दिसंबर, 2016 के महीने में देश के प्रमुख उद्योगों की उत्पादन वृद्धि दर शून्य से 0.4 फीसद नीचे रही है। हालात यह है कि वित्त वर्ष के नौ महीने के चार महीने में औद्योगिक उत्पादन दर शून्य से नीचे रही है। ऐसे में अगर नोटबंदी की वजह से औद्योगिकी उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ने और बड़ी संख्या में नौकरी जाने की खबरें आ रही हैं या इस तरह के आरोप विपक्ष लगा रहा है तो वह पूरी तरह से आधारहीन नहीं लगता।
नोटबंदी से औद्योगिक उत्पादन दर किस तरह से प्रभावित हुआ है, इसे समझने के लिए शुक्रवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े के कुछ हिस्से को देखना होगा। नवंबर, 2016 में औद्योगिक उत्पादन में 5.7 फीसद की अच्छी वृद्धि हुई थी तो यह माना गया था कि नोटबंदी का उतना असर नहीं हुआ लेकिन दिसंबर के आंकड़ों ने स्थिति को साफ कर दिया। पूरे मैन्यूफैक्चरिंग की स्थिति देखे तो इसमें 2 फीसद की गिरावट हुई है। दिसंबर, 2015 में मैन्यूफैक्चरिंग में 1.9 फीसद की गिरावट हुई थी। वैसे इस चालू वित्त वर्ष के दौरान इससे ज्यादा खराब प्रदर्शन मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में नहीं हुई है। अगस्त, 2016 में मैन्यूफैक्चरिंग में 0.7 की गिरावट दर्ज की गई थी।
यह भी पढ़ें: वित्त मंत्रालय ने पीएसी से कहा, नोटबंदी के बाद जाली मुद्रा की तस्करी रुकी
इसके बाद टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन जैसे घरेलू उपभोक्ता उपकरण बनाने वाले उद्योग की स्थिति देखे तो दिसंबर में इसकी वृद्धि दर 10.3 फीसद कम हुई है। माना जा रहा है कि कंपनियों ने नोटबंदी के बाद भविष्य में मांग में कमी की संभावना को देखते हुए उत्पादन को स्थगित कर दिया है। नवंबर, 2016 में इस उद्योग में 16.6 फीसद की जबरदस्त ग्रोथ दर्ज की गई थी। अगर सभी उपभोक्ता सामान उद्योग की स्थिति देखे तो इसमें 6.8 फीसद की गिरावट हुई है। कहने की जरुरत नहीं कि उपभोग के आधार पर विभाजित 22 उद्योगों में से 17 में नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की गई है।
यह भी पढ़ें: देश के दस आइआइएम में नए निदेशकों की नियुक्ति
नवंबर व दिसंबर के आंकड़ों को हम मौजूदा साल के औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति के मानक के तौर पर नहीं देख सकते क्योंकि ये दोनों महीने नोटबंदी के रहे हैं। दिसंबर में पुराने प्रतिबंधित नोटों के नहीं चलने से स्थिति और बिगड़ी है। हमें लगता है कि अगले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था के विस्तार के और सटीक आंकड़े सामने आएंगे : अरुण जेटली, वित्त मंत्री