1998 और 2008 के राष्ट्रपति चुनाव में पिता-पुत्र के हाथों हार का स्वाद चख चुके हैं डेमोक्रेट प्रत्याशी बिडेन
डेमोक्रेट पार्टी के प्रत्याशी जो बिडेन तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे पहले 1998 और 2008 में वो बुश सीनियर और बुश जूनियर के हाथों हार का स्वाद चख चुके हैं।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। वहां पर 3 नवंबर को इसके लिए मतदान होगा। ऐसे में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। ऐसे में आज हम डेमोक्रेट पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व उप-राष्ट्रपति जो बिडेन के बारे में आपको बता रहे हैं। उनके कुछ ऐसे पक्ष हैं जो उन्हें इस रेस में आगे रखते हैं और राष्ट्रपति पद का मजबूत दावेदार भी बनाते हैं। हालांकि, रिपब्ल्किन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप ने बिडेन पर जो आरोप लगाए हैं वो कहीं न कहीं उनकी कमजोरी भी बयां करते हैं। इसके बावजूद आखिरी फैसला 3 नवंबर को ही होगा।
मजबूती
- ट्रंप के मुकाबले जो बिडेन को राजनीति का लंबा अनुभव रहा है। वो ओबामा प्रशासन में उप राष्ट्रपति की भूमिका में थे। इससे पहले वो 1972 से लेकर 2017 तक डेलवेयर से सीनेटर चुने जाते रहे हैं। वो अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में सबसे कम उम्र के छठे सीनेटर रहे हैं। वो लंबे समय तक सीनेट की फॉरन रिलेशन कमेटी और स्टेट ज्यूडिशियरी कमेटी के चेयरमैन भी रहे हैं। उन्होंने 1991 में हुए खाड़ी युद्ध का खुलकर विरोध किया था।
- सीनेटर रहते हुए उन्होंने वॉयलेंट क्राइम कंट्रोल एंड लॉ एंफोर्समेंट एक्ट और वॉयलेंस अगेंस्ट वूमेन एक्ट को पारित करवाने में अहम भूमिका निभाई थी।
- जो बिडेन अमेरिकी ताकत को बढ़ावा देने लिहाज से पूर्वी यूरोप में नाटो के विस्तार के हिमायती रहे हैं।
- जो बिडेन ने अमेरिकियों को टैक्स में रियायत देने के लिए टैक्स रिलीफ एक्ट 2010 पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी।
- अमेरिका-रूस के बीच न्यू स्टार्ट संधि में भी बिडेन की अहम भूमिका रही है।
- 2011 में इराक से अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर भी बिडेन ने अहम भूमिका निभाई थी।
- जनवरी 2017 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बिडेन को प्रेजीडेंशियल मैडल ऑफ फ्रीडम प्रदान किया था।
कमजोरी
- ये पहला मौका नहीं है कि जब वो डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतरे हैं। इससे पहले भी वो डेमोक्रेट पार्टी की तरफ से 1988 और 2008 राष्ट्रपति पद के लिए चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। इन दोनों में ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ये इत्तफाक ही है कि पहली बार वो रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बने जॉर्ज डब्ल्यू बुश सीनियर से हारे और दूसरी बार में उनके बेटे जॉर्ज डब्ल्यू बुश जूनियर के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
- बराक ओबामा प्रशासन में अमेरिका के उप-राष्ट्रपति रहे जो बिडेन का चीन के प्रति रुख काफी नरम रहा है।
- रिपब्लिकन प्रत्याशी और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अधिकतर नौकरियां विदेशियों खासतौर पर चीन को दी थीं। इसकी वजह से देश में बेरोजगारी बढ़ी।
- उप-राष्ट्रपति रहते हुए ईरान से अमेरिका के बीच में जो परमाणु समझौता हुआ था उसमें अमेरिका के फायदे को नजरअंदाज कर एकतरफा समझौता किया गया।
- ओबामा प्रशासन में चीन को मिली छूट की बदौलत मौजूदा दौर में वो अमेरिका को आंख दिखा रहा है। चीन के प्रति नरम रवैये की वजह से ही वो आज पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है।
- वर्ष 2014 में यूक्रेन की गैस कंपनी के गलत कार्यों को दबाने में बिडेन ने पूरा साथ दिया था। इसमें उनके बेटे कंपनी के बोर्ड में शामिल थे। उनके बेटे पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अपने पिता के नाम का बेजा इस्तेमाल किया और फायदा उठाया।
- 2011 में अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के कई वर्ष बाद भी अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर कभी कुछ नहीं किया गया।
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