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गरीबों की थाली से दालों के छूमंतर होने का बढ़ा खतरा, दलहन की मांग में भारी इजाफा

गरीबों से लेकर अमीरों तक में दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। उधर सरकारी दावों के विपरीत दालों की पैदावार में अपेक्षित इजाफा होने पर संदेह है। लिहाजा जिंस बाजार में सभी तरह की दलहन फसलों के मूल्य में तेजी का रुख है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 08:05 PM (IST)
गरीबों की थाली से दालों के छूमंतर होने का बढ़ा खतरा, दलहन की मांग में भारी इजाफा
सरकारी दावों के विपरीत दालों की पैदावार में अपेक्षित इजाफा होने में संदेह (फाइल फोटो)

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए शाकाहारियों के लिए दालें ही प्रोटीन का प्रमुख साधन बन गई हैं। गरीबों से लेकर अमीरों तक में दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। उधर, सरकारी दावों के विपरीत दालों की पैदावार में अपेक्षित इजाफा होने पर संदेह है। लिहाजा जिंस बाजार में सभी तरह की दलहन फसलों के मूल्य में तेजी का रुख है। चने को छोड़कर बाकी सभी दालों के मूल्य सौ रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर जा पहुंचे हैं। थोक बाजार में साबुत दलहनी फसलें सरकार के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक पर बिक रही हैं जिसका लाभ किसानों को मिलने लगा है। लेकिन गरीबों की थाली से दालों के छूमंतर होने का खतरा बढ़ गया है।

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दलहन की खेती पर जोर देने के लिए सरकार हर संभव उपाय कर रही

दलहन की खेती पर जोर देने के लिए सरकार हर संभव उपाय कर रही है। इसके नतीजे भी संतोषजनक प्राप्त हुए। लेकिन मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ने से कीमतों में आई इस तेजी को स्वाभाविक माना जा रहा है। दालों की पैदावार को लेकर कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर जिंस बाजार को यकीन नहीं आ रहा है। यही वजह है कि खरीद मौसम में व्यापारियों ने कम उत्पादन का राग अलापना शुरू कर दिया है। आमतौर पर किसानों से उपज खरीदने के समय व्यापारी ऐसा नहीं बोलते। उपभोक्ता मंत्रालय के अधिकारी भी व्यापारियों से इत्तेफाक रखते हैं। उन्हें पैदावार के आंकड़ों पर संदेह है।

अच्छे मूल्य मिलने पर ही किसान दलहन की खेती के प्रति आकर्षित होंगे

दलहन व्यापार के एक वैश्विक विशेषज्ञ का कहना है कि बाजार में अच्छे मूल्य मिलने पर ही किसान इसकी खेती के प्रति आकर्षित होंगे। देश की प्रमुख दलहन मंडियों में मूल्य एमएसपी से अधिक बोले जा रहे हैं। चालू खरीद सीजन के शुरुआती दौर मार्च में सरकारी एजेंसियों को कुछ अरहर और चना खरीदने में ही मदद मिल पाई थी। इसके बाद तो चने से लेकर मसूर तक एमएसपी से ऊपर बिकने लगी हैं। बफर स्टाक तक के लिए सरकारी एजेंसियों को तरसना पड़ रहा है।

चने का बफर स्टाक अब तक के न्यूनतम स्तर पर

चने का बफर स्टाक फिलहाल अब तक के न्यूनतम स्तर 12 लाख टन पर पहुंच गया है। चालू सीजन में कुल सवा तीन लाख टन चने की खरीद हो सकी है। जबकि अरहर का बफर स्टाक 3.35 लाख टन है। यह पिछले वर्षो का खरीदा हुआ माल है। अधिकतम बफर स्टाक कभी 40 लाख टन तक रह चुका है। ¨जस कारोबारियों को पता चल चुका है कि उपज अपेक्षित नहीं है और बाजार में पर्याप्त मांग है, सरकारी एजेंसियों के पास हस्तक्षेप करने को पर्याप्त स्टाक नहीं है। ऐसे में व्यापारी उपभोक्ताओं की थाली से दाल छूमंतर करने की कोशिश कर सकते हैं।

आंकड़ों में दालें 

चना : एमएसपी 5,100 रुपये; बाजार भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है। फिलहाल भाव 5,400 रुपये के आसपास है।

अरहर : एमएसपी 6,000 रुपये प्रति क्विंटल, बाजार भाव 6,800/7,000 रुपये, पिछले पखवाड़े भाव 7,500 रुपये प्रति क्विंटल छू चुका है।

मसूर : एमएसपी 5,100 रुपये; बाजार भाव 6,200 रुपये, आयात निर्भरता बनी रहती है।

उड़द : एमएसपी 6,000 रुपये; बाजार में 7,200 रुपये क्विंटल।

मूंग : एमएसपी 7,196 रुपये; बाजार भाव 7,300/7,500 रुपये प्रति क्विंटल।


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