Move to Jagran APP

कोरोना का कहर: दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने मचाई तबाही; राज्यों को निगरानी बढ़ाने की सलाह

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे देश में INSACOG व NCDC के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया। इसके अनुसार भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए घातक कोरोना वायरस के अल्फा वैरिएंट से अधिक संक्रामक वैरिएंट डेल्टा जिम्मेदार है।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 12:08 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 08:02 PM (IST)
कोरोना का कहर: दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट ने मचाई तबाही; राज्यों को निगरानी बढ़ाने की सलाह
कोरोना वायरस का 'डेल्टा' वैरिएंट से है महामारी की दूसरी वेव का जिम्मेवार

नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना महामारी की दूसरी लहर अब उतार पर है। सरकार, प्रशासनिक अमले और आम लोगों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन पहली लहर के बाद बेफिक्र हो जाने की गलती दोहराना भारी पड़ सकता है। इसकी वजह कोरोना वायरस के एक के बाद एक सामने आने वाले वैरिएंट हैं। भारत में पिछले साल पहली लहर के दौरान वायरस का कोई संक्रामक वैरिएंट नहीं मिला था। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में खतरनाक वैरिएंट जरूर मिले थे, लेकिन उनके प्रकोप से भारत बच गया था। परंतु, दूसरी लहर में भारत में सामने आए डेल्टा वैरिएंट ने ऐसी तबाही मचाई कि कई परिवार उजड़ गए और हजारों बच्चे अनाथ हो गए।

loksabha election banner

कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए पिछले साल गठित प्रयोगशालाओं के संघ यानी इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टिया (इंसाकाग) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के विज्ञानियों के अध्ययन में डेल्टा वैरिएंट यानी बी.1.617.2 के अत्यधिक संक्रामक होने की जानकारी सामने आई है।

अध्ययन के मुताबिक पिछले साल ब्रिटेन के केंट इलाके में पहली बार सामने आए कोरोना वायरस के अल्फा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट 50 फीसद ज्यादा संक्रामक है। विज्ञानियों के मुताबिक भारत में महामारी की दूसरी लहर के पीछे भी डेल्टा वैरिएंट ही है। इंसाकाग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एनसीडीसी द्वारा सख्त उपाय करने की सिफारिश की है और इन उपायों के बारे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, भले ही उनके यहां संक्रमण के ज्यादा मामले हों या नहीं, को समय-समय पर बताते रहने को कहा है।

पिछले साल भारत में मिला था

कोरोना वायरस का बी.1.617.2 वैरिएंट पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में भारत में पहली बार सामने आया था। यह वायरस के दो स्ट्रेन से मिलकर बना था, इसलिए इसे डबल बैरिएंट भी कहा गया, अब इसे डेल्टा वैरिएंट नाम दिया गया है।

राज्यों को निगरानी बढ़ाने की सलाह

राज्यों को उन जिलों में निगरानी बढ़ाने की सलाह दी गई है, जहां वैरिएंट आफ कंसर्न यानी चिंता का कारण बनने वाले वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हों। ऐसे जिलों में संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करने और विदेश यात्रा करने वाले संक्रमितों के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग जैसे उपाय अपनाने को भी कहा गया है।

दिल्ली समेत पूरे देश में डेल्टा के मामले

अध्ययन के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आने से कोई भी राज्य नहीं बचा है, लेकिन दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना में इसने भारी तबाही मचाई है। कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट समूह का ही डेल्टा वैरिएंट है। सबसे पहले महाराष्ट्र में यह सामने आए था, उसके बाद अन्य राज्यों तेजी से फैला। हालांकि, अध्ययन में यह भी कहा गया है कि अभी अधिक मौतों और गंभीर संक्रमण के पीछे डेल्टा वैरिएंट की भूमिका साबित नहीं हो सकी है।

डेल्टा के खिलाफ कम कारगर है फाइजर की वैक्सीन

फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों को भी कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ पूरी सुरक्षा मिलने की संभावना कम है। मेडिकल जर्नल लैंसेट में गुरुवार को प्रकाशित शोध अध्ययन यह दावा किया गया है। अध्ययन के मुताबिक इस वैक्सीन की एक डोज लेने वाले 79 फीसद लोगों में कोरोना वायरस के मूल वैरिएंट के खिलाफ एंटीबाडी का स्तर मात्रात्मक पाया गया। परंतु, अल्फा वैरिएंट (बी.117) के लिए यह आंकड़ा 50 फीसद, डेल्टा वैरिएंट (बी.1.617.2) के लिए 32 और बीटा वैरिएंट (बी.1.351) के लिए 25 फीसद फीसद पर आ जाता है। अधिक उम्र वालों में एंटीबाडी की मात्रा और कम हो जाती है और जल्द ही इसमें गिरावट भी आ जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.