फेफड़ों को तेजी से जकड़ता है कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट, रखनी होगी कड़ी निगाह
भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट में बदलाव हुआ है। इसमें म्यूटेशन के बाद डेल्टा प्लस वैरिएंट सामने आया है जो वायरस के अन्य वैरिएंट की तुलना में फेफड़ों को बहुत तेजी के साथ जकड़ रहा है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट में बदलाव हुआ है। इसमें म्यूटेशन के बाद डेल्टा प्लस वैरिएंट सामने आया है, जो वायरस के अन्य वैरिएंट की तुलना में फेफड़ों को बहुत तेजी के साथ जकड़ रहा है। हालांकि, डेल्टा के मुकाबले इसकी संक्रामक क्षमता कम जान पड़ती है, लेकिन इस बारे में भी विशेषज्ञ अभी बहुत कुछ कहने की स्थिति में नहीं और अभी ज्यादा अध्ययन की आवश्यकता बता रहे हैं।
फेफड़े से तेजी से चिपकता है यह वैरिएंट
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के सदस्य और टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड वर्किग ग्रुप के चेयरमैन डा. एनके अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं में तेजी से चिपक जाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह गंभीर बीमारी पैदा करेगा या तेजी से फैलेगा।
संक्रमण को गंभीर होने से बचाएगी वैक्सीन
डा. अरोड़ा ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या यह ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। ज्यादा मामले सामने आने के बाद ही इसके प्रभाव के बारे में कुछ स्पष्ट पता चल सकेगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने वालों को इससे बहुत हल्का संक्रमण होगा। यह संक्रमण को गंभीर होने से बचाएगी।
रखनी होगी करीबी नजर
उन्होंने कहा कि इस वैरिएंट पर बहुत निकट निगरानी रखनी होगी। इसके प्रसार का गहनता से अध्ययन करना होगा, तभी पत चल पाएगा कि इसके फैलने की क्षमता कितनी है। देश में 12 राज्यों में डेल्टा वैरिएंट के अभी तक लगभग 52 मामले सामने आए हैं। मध्य प्रदेश में दो और तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र में एक-एक मरीज की इससे मौत भी हो चुकी है।
ज्यादा हो सकती है संक्रमितों की संख्या
डा. अरोड़ा कहते हैं कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा हो सकती है। चूंकि ज्यादातर लोगों में लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, इसलिए वो लोग पकड़े नहीं जा रहे हैं और ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। सबसे पहले 11 जून को डेल्टा प्लस का मामला सामना आया था।
तीसरी लहर का कारण बनेगा, कहना मुश्किल
एक सवाल पर डा. अरोड़ा ने कहा कि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट देश में तीसरी लहर का कारण बनेगा। उन्होंने कहा कि महामारी की लहरों का संबंध नए वैरिएंट या नए स्ट्रेन से होता है, इसलिए इससे भी लहर आने की संभावना है, क्योंकि यह नया वैरिएंट है। लेकिन यह तीसरी लहर का कारण बनेगा, यह नहीं कहा जा सकता।
टीकाकरण से कम किया जा सकता है नुकसान
दूसरी लहर में ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं। अभी भी रोजाना 50 हजार मामले सामने आ रहे हैं, इससे साफ है कि अभी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है। ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का मतलब है कि ज्यादा लोगों में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा पैदा हो गई है। दूसरी अहम बात टीकाकरण है। अगर तेजी से टीकाकरण होता है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को एक डोज भी लग जाती है तो तीसरी लहर का प्रभाव बहुत हद तक कम हो सकता है।