गलत नहीं थे श्रीलंकाई खिलाड़ी, IMA ने भी माना दिल्ली का वायु प्रदूषण गंभीर
दिल्ली की गिनती अभी भी विश्व के चुनिंदा सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में होती है। अगर यही हालात बने रहे तो भविष्य में यहां होने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। भारत और श्रीलंका के बीच चल रही पांच दिवसीय टेस्ट मैच श्रृंखला भले ही गुरुवार को खत्म हो जाए, लेकिन दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर इसने लंबी चर्चा छेड़ दी है। यह चर्चा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जोर पकड़ रही है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने श्रीलंकाई खिलाडि़यों की परेशानी को जहां जायज करार दिया है वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस स्थिति के लिए दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय नहीं होने की बात कही है।
आइएमए अध्यक्ष डा. केके अग्रवाल कहते हैं कि वायु प्रदूषण के मामले में श्रीलंका एशिया के सभी देशों में सबसे बेहतर स्थिति रखता है। वहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स आमतौर पर 50 से 60 के बीच रहता है। ऐसे में जबकि दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 पार कर गया था तो श्रीलंकाई खिलाडि़यों को परेशानी होना एकदम स्वाभाविक है।
डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि जिस तरह दिल्ली का वायु प्रदूषण साल दर साल बिगड़ता जा रहा है और उसे कम करने के लिए किसी स्तर पर दीर्घकालिक उपाय भी नहीं अपनाए जा रहे, वह चिंताजनक है। दिल्ली की गिनती अभी भी विश्व के चुनिंदा सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में होती है। अगर यही हालात बने रहे तो भविष्य में यहां होने वाले अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजनों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ना तय है। यह स्थिति देश की राजधानी के लिए सम्मानजनक नहीं कही जा सकती।
सीपीसीबी के अपर निदेशक डॉ. दीपांकर साहा कहते हैं कि भारत और श्रीलंका के बीच चल रहे टेस्ट मैच के मद्देनजर जो किरकिरी हुई, उसके लिए सीधे तौर पर दिल्ली सरकार और बीसीसीआइ के बीच समन्वय नहीं होना ही बड़ा कारण रहा है।
सीपीसीबी के ऑनलाइन केंद्रीय नियंत्रण कक्ष पर दिल्ली एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स ही नहीं, अगले सप्ताह भर तक के पूर्वानुमान का जिक्र रहता है। इसके बावजूद न तो बीसीसीआइ (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने सावधानी बरती और न दिल्ली सरकार या दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने ही कोई एहतियात बरती। यह सीधे तौर पर लापरवाही भी है और इतने महत्वपूर्ण मुद्दे के प्रति अनदेखी भी।
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