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अगले हफ्ते दो सरकारी बैंकों के निजीकरण पर अहम फैसला संभव, सरकार संसद में पेश करेगी संशोधन विधेयक

सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकार मानसून सत्र में संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में दिख रही है। नीति आयोग में गठित एक समिति ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 04 Jul 2021 10:25 PM (IST)Updated: Sun, 04 Jul 2021 10:25 PM (IST)
अगले हफ्ते दो सरकारी बैंकों के निजीकरण पर अहम फैसला संभव, सरकार संसद में पेश करेगी संशोधन विधेयक
नीति आयोग ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकार मानसून सत्र में संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारी में दिख रही है। इस मामले में पिछले सप्ताह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति की एक बैठक हुई थी। उस बैठक में कई मुद्दों पर अंतिम फैसला नहीं हो सका था।

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बैठक में विनिवेश के लिए बैंकों के नामों पर लगेगी मुहर

इस सप्ताह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति की एक और बैठक होने वाली है, जो बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इस बैठक में विनिवेश के लिए बैंकों के नामों पर मुहर लगनी है। सचिवों की समिति की मंजूरी के बाद इस बारे में प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

नीति आयोग ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए

माना जा रहा है कि नीति आयोग में गठित एक समिति ने निजीकरण के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए हैं।

इंडियन ओवरसीज बैंक में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 96.38 फीसद

इंडियन ओवरसीज बैंक में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 96.38 फीसद है जबकि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र की इक्विटी 89.78 फीसद है।

नीति आयोग ने की दोनों बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की सिफारिश

नीति आयोग ने दोनों बैंकों में सरकार को अपनी पूरी हिस्सेदारी प्रबंधन नियंत्रण के साथ निजी हाथों में सौंपने की सिफारिश की है।

विलय-अधिग्रहण सौदों की रकम 44 फीसद बढ़कर बढ़कर 49.34 अरब डॉलर पर पहुंची

कोरोना संकट के बीच भी इस वर्ष पहली छमाही (जनवरी-जून, 2021) के दौरान विलय-अधिग्रहण सौदों की रकम 44 फीसद बढ़कर बढ़कर 49.34 अरब डॉलर पर पहुंच गई। पिछले वर्ष समान अवधि में यह आंकड़ा 34.3 अरब डॉलर रहा था। एलएसई ग्रुप की इकाई रिफिनिटिव के आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन अवधि में विलय एवं अधिग्रहण सौदों की संख्या पांच फीसद बढ़कर 730 पर पहुंच गई।


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