डीसीजीआइ ने कोरोना वैक्सीन के दूसरे-तीसरे चरण के ट्रायल में नए लोगों को शामिल करने पर लगाई रोक
कोवैक्सीन का देश के 12 चिकित्सा संस्थानों में ट्रायल चल रहा है। ट्रायल के शुरुआती चरणों में इसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) डा. वीजी सोमानी ने सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया को कोरोना वैक्सीन के दूसरे-तीसरे चरण के ट्रायल में नए लोगों को शामिल करने पर अगले आदेश तक रोक लगाने को कहा है।
डीसीजीआइ ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को दिया आदेश
डीसीजीआइ ने यह आदेश सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) के जवाब पर दिया है। डीसीजीआइ ने चैडओक्स एनसीओवी-19 बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका को वैक्सीन का परीक्षण न रोकने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में ट्रायल में शामिल मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी। डीसीजीआइ ने एसआइआइ को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया था। जिस पर एसआइआइ ने अपना पक्ष रखा है।
वैक्सीन से एक वालंटियर के बीमार होने पर ट्रायल रोक दिया गया
ऑक्सफोर्ड विवि के शोधकर्ताओं के सहयोग से विकसित इस वैक्सीन से एक वालंटियर के गंभीर तौर पर बीमार होने पर कंपनी ने ट्रायल रोक दिया है। अमेरिका, इंग्लैंड, ब्राजील द.अफ्रीका समेत अन्य देशों में भी इस वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया है।
वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में नए लोगों को शामिल करने पर रोक
डीसीजीआइ डा.वीजी सोमानी ने अपने आदेश में कहा कि आपका जवाब और डाटा एंड सेफ्टी मॉनीटरिंग बोर्ड (डीएसएमबी) की सिफारिशों को देखने के बाद न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स-2019 के नियम 30 के तहत वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में नए लोगों को शामिल करने पर रोक लगाई जा रही है। ट्रायल के दौरान जिन्हें पहले वैक्सीन दी गई है उनकी सुरक्षा की पूरी निगरानी को भी कहा गया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि भविष्य में इस वैक्सीन का परीक्षण शुरू करने से पहले डीएसएमबी, भारत और डीएसएमबी, यूके से परीक्षण की मंजूरी से डीसीजीए को अवगत कराया जाए। इसके बाद यहां से अनुमति मिलने के बाद ही परीक्षण शुरू किया जाए।
मकाऊ बंदरों पर कोवैक्सीन के ट्रायल से मिले बेहतर नतीजे
भारत बायोटेक के अनुसार कोरोना से निदान के लिए विकसित की जा रही कोवैक्सीन के जानवरों पर किए जा रहे ट्रायल में बेहतर नतीजे आए हैं। आइसीएमआर और भारत बायोटेक की ओर से विकसित इस वैक्सीन के ट्रायल में मकाऊ बंदरों में प्रतिरोधक क्षमता में भारी वृद्धि देखने को मिली। कोवैक्सीन का टीका लगने के बाद इन बंदरों में न केवल वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हुई बल्कि नाक, गले में वायरस की वृद्धि में काफी कमी देखी गई। किसी भी बंदर में न्यूमोनिया के लक्षण भी विकसित नहीं हुए।
उल्लेखनीय है कोवैक्सीन का देश के 12 चिकित्सा संस्थानों में ट्रायल चल रहा है। ट्रायल के शुरुआती चरणों में इसके बहुत अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं।