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इस गांव की बेटियों ने फैशन को बनाया अपना पैशन, सीएम भी कर चुके हैं तारीफ

गांव की लड़कियां आज के फैशन की नब्ज पकड़ चुकी हैं। वे ऐसी ही वस्तुएं बना रहीं हैं और डिजाइन में नए-नए प्रयोग भी करतीं हैं। बेटियों की बनाई इन वस्तुओं की बाजार में बड़ी मांग है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 11:17 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 11:17 AM (IST)
इस गांव की बेटियों ने फैशन को बनाया अपना पैशन, सीएम भी कर चुके हैं तारीफ
इस गांव की बेटियों ने फैशन को बनाया अपना पैशन, सीएम भी कर चुके हैं तारीफ

देवघर [प्रदीप सिंह]। आपके शरीर पर सजे आकर्षक परिधान, हाथों में टंगे डिजाइनर बैग, रंग-बिरंगी लाह की चूड़ियां,कानों में लटकते क्विलिंग पेपर रंग के बारे में अगर कहें कि इन्हें गांव की बेटियों ने बनाया है तो आपको यकीन नहीं होगा, पर यह सच है। देवघर से 25 किमी दूर सारवां प्रखंड के मधुवाडीह गांव की लड़कियां आज के फैशन की नब्ज पकड़ चुकी हैं। वे ऐसी ही वस्तुएं बना रहीं हैं और डिजाइन में नए-नए प्रयोग भी करतीं हैं। बेटियों की बनाई इन वस्तुओं की बाजार में बड़ी मांग है।

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लड़कियों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में संस्था ‘नीड्स’ सहयोग कर रही है। मधुवाडीह स्थित प्रशिक्षण केंद्र में इन लड़कियों को प्रशिक्षण मिलता है। उसकी बदौलत वे केंद्र में 80 प्रकार के उत्पाद बना रहीं हैं। वे कांवड़ियों की सुविधा के लिए बोल बम ड्रेस के साथ कपड़े के जूते व चप्पल भी बना रहीं हैं। हाल में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इन बेटियों की कला की सराहना की थी। अब ये लड़कियां सैनेटरी नैपकिन बनाने का भी प्रशिक्षण ले रहीं हैं। दो-तीन माह में उसका भी उत्पादन होने लगेगा।

प्रशिक्षण के बाद 37 लड़कियों ने बढ़ाया कदम

‘नीड्स’ का केंद्र सितंबर- 2017 में शुरू हुआ। ऊषा कंपनी के सहयोग से सारवां प्रखंड के बिशनपुर, दानीपुर, कल्हौर व बनवरिया गांव की 37 लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छह माह का मुफ्त प्रशिक्षण दिया गया। सामग्री बनाने को कच्चा माल ‘नीड्स’ की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। ऊषा कंपनी की प्रशिक्षक राजकुमारी का कहना है कि इन लड़कियों की बनाई वस्तुओं की काफी मांग है। आने वाले समय में इनकी बनाई सामग्री बाजार में छा जाएगी।

प्रशिक्षण ले चुकी प्रीति, मुन्नी कुमारी, सिंधु कुमारी व ममता कुमारी इंटर और स्नातक में पढ़ती हैं। इस काम में भी समय देती हैं। ‘नीड्स’ ने इन लड़कियों के लिए कंप्यूटर लैब भी बनाई है। वहां कंप्यूटर का प्रारंभिक ज्ञान मिलेगा। 15 से 18 वर्ष की उम्र की लड़कियों को प्रशिक्षण देते हैं। लड़कियां प्रशिक्षण लेंगी तो स्वावलंबी बनेंगी। इससे बाल विवाह भी रुकेगा। जागरूक बेटियां सामाजिक बुराइयों का विरोध कर सकेंगी।

- पियाली दास, प्रोग्राम ऑफिसर, नीड्स 


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