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बांध, जलविद्युत परियोजनाएं पर्यावरण को नहीं पहुंचाती नुकसान; केंद्र सरकार ने दी सफाई

बिजली मंत्री आरके सिंह ने कहा कि सच्चाई का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ करें प्रामाणिक और वैज्ञानिक अध्ययन। केंद्रीय मंत्री ने देश में जल भंडारण या बांध परियोजनाओं को लेकर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिकूल रुख का जिक्र किया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 07:54 AM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 07:54 AM (IST)
बांध, जलविद्युत परियोजनाएं पर्यावरण को नहीं पहुंचाती नुकसान; केंद्र सरकार ने दी सफाई
बांधों और जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर सरकार की सफाई। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। बिजली मंत्री आरके सिंह ने बांधों और जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान की आशंका को खारिज करते हुए बुधवार को विशेषज्ञों से सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रामाणिक और वैज्ञानिक अध्ययन करने को कहा।बांध और नदी बेसिन के स्वस्थ विकास विषय पर आयोजित संगोष्ठि में सिंह ने कहा, 'मैंने पर्यावरण के विज्ञान को नुकसान होते नहीं देखा। मैं इसमें (जल संग्रहण में) प्रगति का विज्ञान देखता हूं। पंजाब और हरियाणा विकसित हुए और वे आज जहां हैं, उसका कारण भाखड़ा नांगल बांध है। अगर आप बिहार के किसी व्यक्ति से पूछें तो उसकी दिली इच्छा नेपाल में कोसी नदी पर बड़े बांध के निर्माण की होगी। जहां भी हमने बड़े बांध बनाए, हमने लोगों के जीवन..पीढि़यों में सुधार लाया। हमें यह संदेश देने की जरूरत है।'

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केंद्रीय मंत्री ने देश में जल भंडारण या बांध परियोजनाओं को लेकर गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिकूल रुख का जिक्र किया। उनका यह दावा है कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा, 'हमारे देश में एक या दो दशकों से बिना वैज्ञानिक अध्ययन के एनजीओ इन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं।' फिलहाल देश में 14,000 मेगावाट की पनबिजली उत्पादन क्षमता का विकास किया जा रहा है। 

सिंह ने कहा, 'पिछले दशक में भी जल संसाधन के उपयोग के मामले में हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जल संसाधनों के विकास, बांधों से जुड़ी परियोजनाओं के विरोध में समन्वित रूप से आंदोलन चलाए गए।' उन्होंने कहा कि ये चीजें अभी भी हैं जिनका हमें समाधान करना है। हमें सबसे पहले यह स्वीकार करना है कि सभ्यता की शुरुआत के साथ जल का उपयोग लोग करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले नील नदी (मिस्त्र) पर बांध की शुरुआत हुई। वहां जल का बड़े स्तर पर उपयोग ईसा पूर्व से हो रहा है। ऐसा नहीं है कि यह अब हो रहा है।' 

सिंह ने कहा कि विरोध के पीछे विचार यह है कि अगर आप किसी तरीके से पानी के प्राकृतिक प्रवाह को रोकते हैं, तब इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि जल भंडारण या बांध परियोजनाएं पानी के कुदरती प्रवाह को नहीं रोकतीं और केवल अतिरिक्त प्रवाह का उपयोग भंडारण में होता है ताकि उसका उपयोग जरूरत के अनुसार हो। सिंह ने कहा, 'क्या इससे पर्यावरण को नुकसान हुआ है? क्या ऐसा कोई अध्ययन है? मुझे लगता है कि आपको इस संदर्भ में एक अध्ययन शुरू करने की जरूरत है जिससे यह पता लगाया जाए कि क्या पर्यावरण को वाकई में नुकसान हो रहा है.. हमें इस पर एक प्रामाणिक अध्ययन की जरूरत है।' 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुछ क्षेत्रों में जल भंडारण परियोजनाएं जरूरी हैं।' उन्होंने कहा कि प्रत्येक विकसित देश ने अपनी 80 से 90 प्रतिशत जलविद्युत क्षमता का उपयोग किया है। नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में ग्रिड के सुचारू रूप से कार्य (बैलेसिंग पावर) करने के लिए जलविद्युत भंडारण परियोजनाएं जरूरी हैं।


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