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सीवीसी ने RBI पर डाली पीएनबी फ्रॉड की जिम्मेदारी, कहा- नहीं किया स्पष्ट ऑडिट

मुख्य सतर्कता आयुक्त के. वी. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा फ्रॉड की अवधि में 'स्पष्ट ऑडिट' नहीं किया गया।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 03 Apr 2018 08:56 PM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2018 08:56 PM (IST)
सीवीसी ने RBI पर डाली पीएनबी फ्रॉड की जिम्मेदारी, कहा- नहीं किया स्पष्ट ऑडिट
सीवीसी ने RBI पर डाली पीएनबी फ्रॉड की जिम्मेदारी, कहा- नहीं किया स्पष्ट ऑडिट

नई दिल्ली, पीटीआइ। पंजाब नेशनल बैंक के लोन फ्रॉड की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक पर डालते हुए मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के. वी. चौधरी ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा फ्रॉड की अवधि में 'स्पष्ट ऑडिट' नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि ऑडिट के लिए और कठोर व्यवस्था अपनाए जाने की जरूरत है।

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एक इंटरव्यू में चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ठोस तरीके से ऑडिट नहीं किया। सीवीसी 13000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ के कामकाज की देखरेख करता है। बैंकिंग सेक्टर के लिए नियामक की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक के पास है, लेकिन सीवीसी किसी भी गड़बड़ी की जांच करता है। रिजर्व बैंक का कहना है कि उसने नियमित ऑडिट के बजाय जोखिम आधारित ऑडिट की व्यवस्था लागू की थी। जोखिम आधारित ऑडिट तभी होता है जब किसी तरह का वित्तीय जोखिम महसूस किया जाता है। चौधरी के अनुसार जोखिम तय करने के लिए कुछ मानदंड होने चाहिए जिनके आधार पर ऑडिट किया जाए। लेकिन रिजर्व बैंक ने फ्रॉड की अवधि में कोई स्पष्ट ऑडिट नहीं किया।

इससे पहले वित्त मंत्री ने भी कहा था कि नियामक इस फ्रॉड को पकड़ने में नाकाम रहे और इनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है। चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक नियामक के तौर पर सामान्य गाइडलाइन जारी करता है। वह विदेशी मुद्रा के लेनदेन के संबंध में भी गाइडलाइन देता है। लेकिन वे हर बैंक और हर शाखा में जांच नहीं करते हैं, जबकि ऐसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राथमिक रूप से यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वे अपना कारोबार गाइडलाइन और नैतिकता के अनुरूप संचालित होना सुनिश्चित करें। रिजर्व बैंक ने हर साल या दो-तीन साल में एक बार ऑडिट करने के बजाय जोखिम आधारित ऑडिट की व्यवस्था अपनाई। इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जोखिम के मूल्यांकन के लिए मानदंड भी तय होने चाहिए थे। यह जांच का बिंदु है कि पीएनबी में फ्रॉड का पता क्यों नहीं चल पाया।

चौधरी ने यह भी कहा कि सिर्फ पीएनबी पर इस फ्रॉड के लिए जिम्मेदार मानना और दूसरे बैंकों को पूरी तरह सही मानना ठीक नहीं है। दूसरे बैंकों में बेहतर सिस्टम होना चाहिए। फ्रॉड पकड़ने में बैंकों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि सतर्कता प्रणाली के लिए निश्चित व्यवस्था और समय तय होना चाहिए। परिचालन संबंधी गाइडलाइन होने चाहिए और उनका अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए।

पीएनबी घोटाले की सीवीसी द्वारा जांच के सवाल पर उन्होंने कहा कि सीवीसी इस मामले में क्या कर रहा है, इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती है। सीवीसी अपने स्तर पर इसे देख रहा है। वह पीएनबी और आरबीआइ के संदर्भ में इस मामले पर गौर कर रहा है।


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