मुठभेड़ में घायल महिला नक्सली की जान बचाने को सीआरपीएफ जवानों ने जंगल में बनाया अस्पताल
हमारे लिए तो मानव सेवा ही सर्वोपरि है। जवानों ने जिस तरह मानवता का परिचय देते हुए नक्सली की जान बचाई, वह एक उदाहरण है।
जागरण संवाददाता, चाईबासा। मुठभेड़ के दौरान सीआरपीएफ और पुलिस जवानों पर गोलियां बरसाने वाली महिला नक्सली की जान बचाने के लिए जवानों ने न सिर्फ जंगल में अस्थायी अस्पताल बनाया बल्कि खून देकर जान भी बचाई। इंसानियत और देश सेवा की मिसाल पेश करती यह घटना है पश्चिम सिंहभूम जिले की।
14 फरवरी की बात है। पश्चिम सिंहभूम जिले के गोइलकेरा के इच्छाबेड़ा जंगल में सर्च ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ 60 बटालियन व नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हो गई। दोनों तरफ से करीब एक हजार से अधिक राउंड गोलियां चलीं।
बीस वर्षीय महिला नक्सली ननकी सुरीन भी जवानों को मार गिराने के लिए उन पर अंधाधुंध फायरिंग करती रही। इस बीच जवानों ने उसके पैर में गोली मार दी। ननकी सुरीन घायल हो गई। ननकी सुरीन के बाएं पैर की एड़ी में गोली लगी थी। वह लहूलुहान अवस्था में नक्सली कैंप के पास तड़प रही थी। उसके साथी जख्मी अवस्था में छोड़ कर भाग गए थे। फायरिंग खत्म होने के बाद जब जिला पुलिस और सीआरपीएफ जवानों ने सर्च आपरेशन चलाया तो उन्हें महिला नक्सली ननकी सुरीन कैंप के पास तड़पती मिली।
सीआरपीएफ ने पहले उसे अपने कब्जे में लिया। इसके बाद मानवता की मिसाल पेश करते हुए जंगल में अस्थाई अस्पताल बनाकर उसका प्राथमिक उपचार किया। फिर उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लाकर भर्ती कराया। वहां से चिकित्सकों ने उसे तुरंत सदर अस्पताल चाईबासा ले जाने की सलाह दी। स्थिति भांपते हुए चक्रधरपुर एसडीपीओ सकलदेव राम व सीआरपीएफ पदाधिकारी उसे उसी रात चाईबासा सदर अस्पताल लेकर पहुंचे।
डाक्टरों ने जान बचाने के लिए तत्काल खून की जरूरत बताई। ऐसे मौके पर सीआरपीएफ जवान राजकिशोर प्रधान, अभिनव कुमार और संदीप तत्काल आगे आए। तीनों ने खून देकर ननकी सुरीन की जान बचाई। इसके बाद चाईबासा सदर अस्पताल ने बेहतर इलाज के लिए ननकी सुरीन को पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल रेफर कर दिया। यहां उपचार जारी है। वह खतरे से बाहर है। मुठभेड़ के बाद ननकी सुरीन के पास से 30 राउंड 0.315 बोर की गोलियों से भरा पाउच बरामद हुआ था। उसके दल में तीस नक्सली थे। इनमें पांच महिलाएं भी थीं। चौंकाने वाली बात यह कि मुठभेड़ के दौरान भागते समय उसके साथी ननकी सुरीन का हथियार भी ले गए। जख्मी हालत में उसकी परवाह तक नहीं की।
हमारे लिए तो मानव सेवा ही सर्वोपरि है। जवानों ने जिस तरह मानवता का परिचय देते हुए नक्सली की जान बचाई, वह एक उदाहरण है।
- पीसी गुप्ता, कमांडेंट, सीआरपीएफ 60
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