देश की सुरक्षा के लिए खतरा बना PUBG , सीआरपीएफ जवानों की उड़ाई नींद
वीडियो गेम पब्जी ने देश की सुरक्षा में जुटे सीआरपीएफ जवान को अपना शिकार बना लिया है। इस गेम ने उन्हें भी अपना लती बना लिया है। इससे जवानों का आपस में संवाद तक बंद हो गया है।
रायपुर,जेएनएन। वीडियो गेम पब्जी (PUBG) एक बार फिर विवादों के कारण चर्चा में है। इस बार इसके शिकार बने हैं देश की सुरक्षा में जुटे सीआरपीएफ जवान। जी हां, वो जवान जिन्हें कड़ी ट्रेनिंग मिलती है, ताकि वे मानसिक तौर पर मजबूत रहे, लेकिन इस गेम ने उन्हें भी अपना लती बना लिया है। ये सीआरपीएफ जवान नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में तैनात हैं। हालात यह है कि इस गेम की वजह से जवानों का आपस में संवाद तक बंद हो गया है। इसके कारण सीआरपीएफ ने जवानों को सोशल गेमिंग साइट पब्जी को अपने फोन से तुरंत हटाने का आदेश जारी हुआ है।
संवाद बंद नींद पर असर
सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के अनुसार पब्जी के कारण जवानों में आपस में संवाद बंद हो गया है। उनकी नींद पर असर पड़ रहा है, जिसके कारण नक्सल विरोधी ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के दौरान तीन से पांच दिन तक जंगलों में रहते हैं। इस दौरान सोशल मीडिया पर वे सक्रिय नहीं रह पाते हैं। जब वह कैंपों में लौटते हैं, तो पब्जी जैसे गेम खेल कर अपना समय बिता रहे हैं। इस कारण से सभी डीआइजी को निर्देश दिया गया है कि पब्जी को सभी जवानों के मोबाइल से डिलिट कराया जाए।
बिहार में भी सीआरपीएफ ने किया पब्जी बैन
बिहार में सीआरपीएफ ने पांच दिन पहले ही पब्जी को बैन किया था। बिहार की सीआरपीएफ यूनिट ने इसे लेकर सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में कहा गया था कि सीआरपीएफ के युवा जवान हिंसक गेम पब्जी के आदि हो गए हैं। इस लत के कारण जवानों की ऑपरेशनल क्षमता प्रभावित हो रही है। साथ ही वे आक्रामक हो रहे है और उनके साथ एटीट्यूड संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
सीआरपीएफ के 40 हजार से ज्यादा जवान हैं तैनात
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में सीआरपीएफ के 40 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। सुकमा, बीजापुर दंतेवाड़ा के अंदरूनी इलाकों में सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ पुलिस और एसटीएफ के साथ मिलकर सर्चिंग ऑपरेशन कर रही है।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप