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Covid Vaccine: वैक्सीन लेने से भी नहीं बनी एंटीबाडी, तो भी ना हों परेशान, सरकार ने दिया यह बयान

नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पाल ने लोगों को वैक्सीन लेने के बाद एंटीबाडी टेस्ट नहीं कराने की सलाह देते हुए कहा कि कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी देखने का एकमात्र तरीका एंटीबाडी नहीं है बल्कि कोशिका के भीतर वायरस की पहचान और उससे निपटने की क्षमता ज्यादा अहम है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 08:17 PM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 08:17 PM (IST)
Covid Vaccine:  वैक्सीन लेने से भी नहीं बनी एंटीबाडी, तो भी ना हों परेशान, सरकार ने दिया यह बयान
वैक्सीन लेने के बाद भी एंटीबाडी नहीं बने तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना से जूझते हुए विश्व को लगभग डेढ़ साल हो गए लेकिन अभी भी संभवत: इसके किसी भी पहलू पर एकमत नहीं हो पाए हैं। संभवत: यही कारण है कि कुछ दिन पहले ही जहां डाक्टर यह कहते देखे सुने गए थे कि पहली लहर में संक्रमित लोग भी फिर से इसीलिए संक्रमित हुए क्योंकि उनमें पर्याप्त एंटीबाडी नहीं बन पाई थी। लेकिन अब माना जा रहा है कि वैक्सीन लेने के बाद भी एंटीबाडी नहीं बने तो भी परेशान होने की या फिर वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं है। 

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कोशिका के भीतर वायरस को पहचानने की क्षमता लंबे समय तक रहती है कारगर

वैक्सीन पर गठित उच्चाधिकार समिति के प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पाल ने लोगों को वैक्सीन लेने के बाद एंटीबाडी टेस्ट नहीं कराने की सलाह देते हुए कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी देखने का एकमात्र तरीका एंटीबाडी नहीं है, बल्कि कोशिका के भीतर वायरस की पहचान और भविष्य में उससे निपटने की क्षमता ज्यादा अहम है।

डा. वीके पाल ने बिना एंटीबाडी की परवाह किए सभी लोगों को वैक्सीन के दोनों डोज लेने की अपील करते हुए कहा कि इससे शरीर कई तरीके से कोरोना वायरस से निपटने के लिए तैयार होता है। इनमें एक एंटीबाडी है। लेकिन एंटीबाडी कुछ महीने में खत्म भी हो जाता है। लेकिन वैक्सीन के बाद कोशिकाओं के भीतर कई स्तर पर लंबे समय तक वायरस को पहचाने की क्षमता पैदा होती है। इस क्षमता की जांच सिर्फ लेबोरेटरी में हो सकती है। 

अलग वैक्सीन के डोज लेने से कोई दिक्कत नहीं, लोग पूरी तरह से सुरक्षित 

उन्होंने कहा कि एंटीबाडी नहीं होने की स्थिति में भी वायरस के शरीर में आने के बाद कोशिकाएं उन्हें पहचान लेती हैं और उसे खत्म करने में जुट जाती हैं। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के कुछ गांवों में दोनों डोज में अलग-अलग वैक्सीन दिये जाने के बारे में पूछे जाने पर डा. वीके पाल ने कहा कि इससे चिंता की कोई बात नहीं है।

अलग-अलग वैक्सीन के डोज लेने वालों को पूरी तरह सुरक्षित बताते हुए कहा कि दुनिया में कई जगह पर अलग-अलग वैक्सीन के डोज देने के बाद इम्यूनिटी विकसित होने की जांच की जा रही है। लेकिन अभी तक वैज्ञानिक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। इसीलिए उन्होंने सभी लोगों से एक ही वैक्सीन के दोनों डोज लेने की सलाह दी। 


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