पूर्वोत्तर राज्यों में नहीं थम रहा कोरोना का कहर, आर-फैक्टर बन रहा चिंता की वजह; जानें इसके मायने
शोधकर्ता ने बताया कि इस साल फरवरी में आर-फैक्टर में वृद्धि देखी गई थी इस दौरान यह 0.93 से बढ़कर 1.02 हो गया था। आर-फैक्टर के एक से कम होने का मतलब है कि संक्रमण दर में गिरावट है।
नई दिल्ली, एएनआइ। देश के कई राज्यों में कोरोना के नए मामलों में फिर से इजाफा होने लगा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सबसे अहम चीज है आर-फैक्टर, जिससे वायरस के फैलने की रफ्तार का पता चलता है। चेन्नई स्थित गणितीय विज्ञान संस्थान (Institute of Mathematical Sciences- IMSc) के विश्लेषण के मुताबिक, जून की तुलना में जुलाई के पहले हफ्ते में आर-फैक्टर ज्यादा है। संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है, इसके लिए एक संकेतक के रूप में कार्य करने वाले गणितीय प्रतिनिधित्व से पता चलता है कि यह 30 जून को 0.78 से जुलाई के पहले सप्ताह में 0.88 हो गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में इसकी रफ्तार में तेजी दर्ज हुई है।
गणितीय विज्ञान संस्थान, चेन्नई के प्रोफेसर सीताभरा सिन्हा ने शोध दल का नेतृत्व किया। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, 'अगर सक्रिय मामले लंबे समय तक बड़ी संख्या में बने रहते हैं, तो सुपर-स्प्रेडर बनाने के लिए परिस्थितियों के एक साथ आने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे तीसरी लहर हो सकती है।' उन्होंने बताया कि इस साल फरवरी में आर-फैक्टर में वृद्धि देखी गई थी, इस दौरान यह 0.93 से बढ़कर 1.02 हो गया था। आर-फैक्टर के एक से कम होने का मतलब है कि संक्रमण दर में गिरावट है। शोधकर्ता ने कहा कि जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर पीक पर थी तब नौ मार्च से 21 अप्रैल के बीच आर-फैक्टर 1.37 था। इसका मतलब है कि उस समय हर 100 संक्रमित व्यक्ति 137 लोगों में संक्रमण फैला रहे थे। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आती गई।
वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। शोधकर्ता ने कहा कि पहली लहर के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों में संक्रमण का स्तर कम था लेकिन दूसरी लहर में ऐसा नहीं देखा गया। उन्होंने कहा, 'मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा में हालात गंभीर बने हुए हैं।' त्रिपुरा में आर-फैक्टर 1.15, अरुणाचल प्रदेश में 1.14, मणिपुर में 1.07, मेघालय में 0.92, सिक्किम में 0.88 और असम एवं मिजोरम में 0.86 है।
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