RBI Governor बोले साइलेंट किलर है COVID-19
पूरी रिपोर्ट में सिर्फ महंगाई को लेकर सकारात्मक बात कही गई है कि आने वाले दिनों में इसकी दर नीचे की तरफ ही रहेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोनावायरस ने दुनिया के हेल्थ स्ट्रक्चर को हिला कर रख ही दिया है लेकिन इसकी वजह से जिस तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का चक्का जाम हुआ है उसे देखते हुए आरबीआइ के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने इसे एक मौन हत्यारा कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि इस महामारी का प्रकोप बहुत ही बुरा हो सकता है इसलिए हमें इसे रोकने के लिए हर तरीके को आजमाना होगा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने मौद्रिक नीति तय करने के लिए गठित समित एमपीसी की बैठक में यह बात कही।
इसी बैठक में रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कटौती और बैंक दर में एक वर्ष के लिए एक फीसद की कटौती समेत कई फैसले किये गये थे। आरबीआइ गवर्नर समेत इसमें छह सदस्य होते हैं। बैठक में हुई विस्तृत चर्चा का ब्यौरा सोमवार को जारी किया गया। गवर्नर समेत एमपीसी के चार सदस्यों ने रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कटौती का सुझाव दिया था जबकि दो सदस्यों ने 50 आधार अंकों की कटौती का सुझाव दिया था। सभी सदस्यों के बीच इस बात की सहमति थी कि हालात बहुत ही गंभीर है और आने वाले दिनों में कोरोनावायरस की आर्थिक कीमत बहुत ज्यादा हो सकती है।
यह भी आम राय थी कि जिस तरह से केंद्र सरकार आगे बढ़ कर वित्तीय पैकेज की घोषणा कर रही है उसी तर्ज पर आरबीआइ को भी वत्तीय माहौल को मजबूत बनाने व सिस्टम में पर्याप्त धन की सप्लाई करने की व्यवस्था करनी चाहिए। सोमवार को जारी ब्यौरे से यह बात भी सामने आती है कि केंद्रीय बैंक यह मान रहा है कि बैंकों व वित्तीय संस्थानों को ऋण वसूली को लेकर काफी चुनौतियां आ सकती हैं। सनद रहे कि इसी सोच के साथ ही आरबीआइ की तरफ से सभी तरह के सावधि कर्ज की अदाएगी पर तीन महीने का मोरोटोरियम लगाया गया है।
पूरी रिपोर्ट में सिर्फ महंगाई को लेकर सकारात्मक बात कही गई है कि आने वाले दिनों में इसकी दर नीचे की तरफ ही रहेगी। लेकिन महंगाई के कम होने का फायदा पूरी अर्थव्यवस्था को कितना होगा, इसको लेकर संशय है। क्योंकि कोविड-19 की वजह से मैन्यूफैक्चिरंग के साथ ही समूचे सर्विस सेक्टर भारी तनाव में है और आने वाले दिनों में यह कितना असर करेगा, यह अनिश्चत है। सिर्फ देश में लाकडाउन की स्थिति सामान्य होने से काम नहीं चलेगा बल्कि इस महामारी से प्रभावित दुनिया के दूसरे देशों में हालात कब तक सामान्य होते हैं, इसको भी ध्यान में रखना होगा।
एमपीसी के पांच सदस्यों ने कहा है कि इस महामारी की वजह से आने वाले दिनों में भी मांग की समस्या गंभीर होगी। इसलिए मांग को बढाने पर सबसे ज्यादा जोर देने की जरुरत है। सनद रहे कि पिछले दो वित्त वर्षों में देश की आर्थिक विकास दर के घटने के लिए घरेलू मांग को एक बड़ा वजह माना जाता है। अगर कोविड-19 की वजह से लाकडाउन की अवधि बढ़ती है तो हालात और ज्यादा गंभीर हो सकता है।