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Covid India Updates: फंगस संक्रमण को रंग से पहचानना उचित नहीं, इम्यूनिटी में कमी है मुख्य वजहः स्वास्थ्य मंत्रालय

एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 24 May 2021 04:57 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 09:16 PM (IST)
Covid India Updates:  फंगस संक्रमण को रंग से पहचानना उचित नहीं, इम्यूनिटी में कमी है मुख्य वजहः स्वास्थ्य मंत्रालय
एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा

नई दिल्ली, एएनआइ। देश में कोरोना और टीकाकरण की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कांफ्रेंस में एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कम इम्यूनिटी वाले लोग म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस), कैंडिडा और एस्पोरोजेनस संक्रमण से संक्रमित होते हैं। ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। इम्यूनिटी की कमी ही ब्लैक फंगस का कारण है। ये साइनस, राइनो ऑर्बिटल और ब्रेन में असर करता है। ये छोटी आंत में भी देखा गया है।

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अलग-अलग रंगों से इसे पहचान देना गलत है। म्यूकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस की पहचान किसी रंग के साथ करना उचित नहीं है। उनका कहना था कि इस फंगस संक्रमण को ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस या पीला फंगस कहना ठीक नहीं है। एक ही फंगस की पहचान अलग-अलग रंगों से करने से भ्रम पैदा होता है। उन्होंने यह भी कहा कि अभी इसके कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं कि आक्सीजन सिलेंडर से फंगस संक्रमण हो रहा है। उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में बिना आक्सीजन सपोर्ट के रहने वाले मरीजों को भी फंगस संक्रमण हुआ है।

ये संक्रमण यानी छुआछूत कोरोना की तरह नहीं फैलता है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखें। उबला पानी पिएं। नाक के अंदर दर्द-परेशानी, गले में दर्द, चेहरे पर संवेदना कम हो जाना, पेट में दर्द होना इसके लक्षण हैं। रंग के बजाय लक्षणों पर ध्यान दें। इलाज जल्दी हो तो फायदा और बचाव जल्दी व निश्चित होता है।

गुलेरिया ने कहा कि रिकवरी रेट में बढ़ोतरी के बाद लोगों को पोस्ट कोविड सिंड्रोम 4-12 हफ्ते तक रह सकते हैं। सांस में  दिक्कत, बदन सीने में दर्द, खांसी, थकान, जोड़ों में दर्द, तनाव, अनिद्रा जैसी शिकायत रहती है। उनके लिए काउंसलिंग, रिबाबिलिटेशन और ट्रीटमेंट जरूरी है। योग भी बेहतरीन काम करता है।

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जो यह दर्शाता हो कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है। हमारे पास केवल यह दिखाने वाला डेटा है कि वायरस मनुष्यों से जानवरों में फैलता है जैसा कि पहली लहर के दौरान न्यूयॉर्क के एक चिड़ियाघर में देखा गया था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में देश में कोविड के 2,22,000 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। 40 दिन के बाद यह अब तक के सबसे कम मामले दर्ज़ किए गए हैं। ज़िला स्तर पर भी कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। 3 मई तक रिकवरी दर 81.7 फीसद थी अब यह बढ़कर 88.7 फीसद हो गई है।

पिछले 22 दिनों से देश में सक्रिय मामलों की संख्या में कमी देखी जा रही है। 3 मई के समय देश में 17.13 फीसद सक्रिय मामलों की संख्या थी, अब यह घटकर 10.17 फीसद रह गई है। पिछले 2 हफ्तों में सक्रिय मामलों की संख्या में करीब 10 लाख की कमी देखी गई है। भारत के स्टैंड रिपोर्ट्स पर कि कोरोना एक प्रयोगशाला वायरस हो सकता है, लव अग्रवाल ने कहा कि बहुपक्षीय मंचों पर चर्चा के आधार पर हमें अधिक स्पष्टता और एक बड़ी तस्वीर मिलेगी। 

उन्होंने कहा कि हम केंद्रीय स्तर पर (फाइजर और मॉडर्न) के साथ दो तरह से अनुमोदन और खरीद के लिए समन्वय कर रहे हैं । यह सरप्लस पर निर्भर करता है कि वे भारत को कितना प्रदान कर सकते हैं। वे भारत सरकार के पास वापस आएंगे, सुनिश्चित करेंगे और सुविधा प्रदान करेंगे, उस आधार पर हम राज्यों को आपूर्ति करने में सक्षम हो सकते हैं। 


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