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COVID 19 Vaccine: कोवैक्सीन के बारे में किए जा रहे दावों पर विशेषज्ञों ने उठाए प्रश्न, जताई शंका

विख्यात वायरोलाजिस्ट शाहिद जमील ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह वैक्सीन सुरक्षित साबित होगी या यह 70 फीसद से अधिक कारगर होगी। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के बारे में जो दावे किए गए हैं वे भारत बायोटेक के इनएक्टीवेटेड वायरल वैक्सीन बनाने के सफल रिकार्ड पर आधारित हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 08:33 PM (IST)
COVID 19 Vaccine: कोवैक्सीन के बारे में किए जा रहे दावों पर विशेषज्ञों ने उठाए प्रश्न, जताई शंका
कोवैक्सीन की कारगरता और सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से किए दावों पर प्रश्न

 नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत बायोटेक की कोराना वैक्सीन कोवैक्सीन की कारगरता और सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से किए दावों पर विशेषज्ञों ने प्रश्न उठाए हैं। उल्लेखनीय है सरकार ने दावा किया है कि कोवैक्सीन कोरोना के नए स्ट्रेन (रूप) का भी मुकाबला कर सकती है। सरकार के दवा नियामक ने रविवार को ही आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड और स्वदेशी टीके कोवैक्सीन को मंजूरी दी है। हालांकि कोवैक्सीन के सुरक्षित होने और कारगरता को लेकर अभी पूरा डाटा भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में विशेषज्ञों के बीच बहस शुरू हो गई है। 

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तीसरे चरण का डाटा उपलब्ध न होने के बावजूद वैक्सीन के कारगर होने के दावे पर की आपत्ति

विख्यात वायरोलाजिस्ट शाहिद जमील ने कहा कि, 'मुझे नहीं लगता कि यह वैक्सीन सुरक्षित साबित होगी या यह 70 फीसद से अधिक कारगर होगी।' उन्होंने कहा कि वैक्सीन के बारे में जो दावे किए गए हैं वे भारत बायोटेक के इनएक्टीवेटेड वायरल वैक्सीन बनाने के सफल रिकार्ड पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मेरी चिंता वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के बयानों को लेकर भी है। वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए प्रतिनिधि समूह के सुरक्षा और कारगरता के डाटा की उपलब्धता जरूरी है। 

 इसे भी पढ़ें : Covid 19 Vaccine: स्वदेशी वैक्सीन को लेकर राजनीति तेज, भारत बायोटेक का बड़ा बयान

यह प्रक्रिया दूसरे चरण के सुरक्षा और प्रतिरक्षकता संबंधी आंकड़ों से पूरी नहीं होती। ऐसी स्थिति में तीसरे चरण का परीक्षण किया जाता है। इस परीक्षण में लोगों पर वैक्सीन का और करीब से असर देखने का अवसर मिलता है। इसका डाटा कहां है। वैक्सीन कोई दवा नहीं है। ये रोकथाम का उपाय है न कि उपचार का। यह स्वस्थ लोगों को दी जाती है। ऐसी स्थिति में सुरक्षा और कारगरता के पहलू को ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने सवाल किया कि कोवैक्सीन को बैकअप क्यों कहा जा रहा है। इसका मतलब तो यह निकलता है कि जरूरत पड़ने पर ऐसी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसकी कारगरता अभी साबित नहीं हो पाई है। 

उन्होंने कहा कि चिंता की बात, सही प्रक्रिया न अपनाना और सही तरीके से बात को न रखना है। इससे लोगों में वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की ख्याति बेहतरीन तरीके से टीकाकरण अभियान चलाने की है। कोवैक्सीन को लेकर जल्दबाजी में मंजूरी देने की बात दुनिया के सामने आने पर हमारे देश के प्रतिष्ठित वैक्सीन उद्योग को झटका लग सकता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने रविवार को कहा था कि कोवैक्सीन मृत कोरोना वायरस पर आधारित है। यह ब्रिटेन में पाए गए नए स्ट्रेन समेत कोरोना के सभी रूपों का मुकाबला करने में सक्षम है। इसी वजह से इसे सशर्त इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वैक्सीन की कारगरता को लेकर अभी स्पष्ट डाटा उपलब्ध नहीं है। 

कोवैक्सीन को बैकअप के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की बात पर भी सवाल किया 

आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने सोमवार को कहा कि कोवैक्सीन को आपात स्थितियों में बैकअप के रूप में इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। अगर मामलों में उछाल आता है तो हमें ज्यादा डोज की जरूरत होगी। ऐसे में हम भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जहां तक कारगरता और सुरक्षा का सवाल है किसी भी क्लीनिकल ट्रायल में जल्दबाजी नहीं की गई है। हां नियामक से मंजूरी लेने में जरूर तत्परता बरती गई है, जिसके लिए सामान्य तौर पर बहुत समय लगता है।

ब्रिटेन में पाए गए स्ट्रेन पर भी कोवैक्सीन के कारगर होने के दावे पर आल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क (एआइडीएएन) ने भी सवाल उठाया है। एआइडीएएन ने कहा कि अभी इस वैक्सीन की कारगरता भी साबित नहीं हो सकी है ऐसे में इसे नए स्ट्रेन से निपटने में भी सक्षम होने की बात किस वैज्ञानिक आधार पर कही जा रही है। ऐसा संदेश दिया जा रहा है कि मृत वायरस पर आधारित यह इनएक्टवीटेड वैक्सीन कोरोना के सभी रूपों से निपटने में सक्षम है। जबकि तीसरे चरण का डाटा अभी उपलब्ध नहीं है। 


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