Covid-19 Vaccination: जानें कैसे पलक झपकते ही वैक्सीन स्लाट बुक कर रहा गूगल एक्सटेंशन
रजिस्ट्रर्ड व्यक्ति द्वारा शेड्यूल बुक पर क्लिक करते ही एक्सटेंशन अपने आप उस पिन कोड क्षेत्र के अंतर्गत आ रहे वैक्सीनेशन केंद्र खोज देता है जो आपने पहले ही भरकर रखा था। आपको उस पिन कोड के तहत आने वाले दर्जनों केंद्रों पर भी यह ढूंढने की जरूरत नहीं है।
वीरेंद्र तिवारी, ग्वालियर। 18 साल से ज्यादा आयु वाले जो लोग कोरोना की वैक्सीन लगवाने के लिए स्लाट खुलने की प्रतीक्षा करते हैं, वे तब भौचक रह जाते हैं, जब स्लाट खुलते ही 'फुली बुक्ड' दिखाई देने लगते हैं। दरअसल, इसके पीछे गूगल के वे एक्सटेंशन हैं, जिन्हें कोडिंग के जानकारों ने बनाकर ओपन प्लेटफार्म पर डाल दिया है। ये एक्सटेंशन चंद पलों में पहले से ही सेव करके रखी गई जानकारी को कोविन वेबसाइट पर भरकर स्लाट बुक कर देते हैं, दूसरी तरफ सामान्य व्यक्ति अपनी आयु, नाम, पता आदि जानकारी ही भरते रह जाते हैं।
न वैक्सीन केंद्र खोजने की जरूरत, बस क्लिक करो और स्लाट बुक
पिछले कुछ दिनों से टेक्नोलाजी के जानकार (टेक एक्सपर्ट्स) कोडिंग करके यह काम कर रहे थे, लेकिन अब कई एप डेवलपर्स ने बाकायदा बॉट प्रोग्राम (कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, जो किसी कार्य को पहले से दिए गए डेटा के आधार पर मानव की तुलना में काफी तेज गति से लगातार करे) के जरिये एक्सटेंशन बनाकर इन्हें सबके लिए खोल दिया है। कोविन बुकिंग, कोविन इंस्टेंट जैसे नाम से इन एक्सटेंशन को उपयोग करना बहुत आसान होता है। इन गूगल एक्सटेंशन ने उन लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है, जो स्मार्ट फोन ही मुश्किल से चला पाते हैं।
ऐसे काम करता है एक्सटेंशन
एक्सटेंशन को डाउनलोड कर कोविन वेबसाइट पर नाम, पता, मोबाइल नंबर, पिन कोड, वैक्सीनेशन केंद्र व आयु वर्ग जैसी जानकारी पहले ही भरकर सेव कर सकते हैं। इसके बाद जैसे ही आप स्लाट बुकिंग के लिए कोविन की अधिकृत वेबसाइट खोलते हैं, एक्सटेंशन अपना कमाल दिखाते हुए आपकी पहले से सेव की गई जानकारी दर्ज कर देता है। क्लिक करने पर तुरंत ओटीपी आ जाता है, जिससे आप अपने अकाउंट में लाग-इन कर लेते हैं।
फिर जिस भी वैक्सीनेशन केंद्र पर स्लाट खाली है, एक्सटेंशन उसे तुरंत ढूंढकर आपके लिए बुक कर देता है। इस प्रक्रिया में टाइम स्लाट चयनित करने, कैप्चा कोड डालने जैसे काम भी एक्सटेंशन कर देता है। ऐसे में सिर्फ सिंगल क्लिक करने के बाद कंफर्म बटन दबाते ही स्लाट बुक हो जाता है।
एक्सपर्ट की राय
आम जनता के लिए भले ही यह सब हैकिंग सा लगे, लेकिन तकनीकी जानकार इसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बोलते हैं, जिसे बॉट कहा जाता है। पुणे की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले कोडिंग एक्सपर्ट अभिषेक मिश्रा कहते हैं कि बॉट रोबॉट शब्द से ही बना हुआ है। इसका मतलब है, वह कंप्यूटर प्रोग्राम, जो किसी कार्य को पहले से दिए गए डेटा के आधार पर मानव की तुलना में काफी तेज गति से लगातार करे। हालांकि, अभिषेक का यह भी कहना है कि ओटीपी बेस होने के कारण कोविन को एक साथ दर्जनों स्लाट के लिए हैक करना लगभग नामुमकिन सा है, क्योंकि एक मोबाइल नंबर से सिर्फ चार स्लाट ही बुक हो रहे हैं।
नेशनल हेल्थ अथारिटी ने नहीं दिया जवाब
इस मामले में नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने दैनिक जागरण के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। गौरतलब है कि कोविन प्लेटफार्म के संचालन की जिम्मेदारी नेशनल हेल्थ अथारिटी की ही है।
ग्वालियर के चिनौर गांव के सामाजिक न्याय पर काम करने वाले कार्यकर्ता राजेंद्र नायक ने कहा कि यह तकनीक का पक्षपात है। जीवनरक्षक वैक्सीन के लिए अब कंप्यूटर एक्सपर्ट होना शर्त हो गया है। यह ठीक नहीं। ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रकिया आफलाइन शुरू की जानी चाहिए।