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Covid-19: केरल में इस बार नहीं मनाई जाएगी ‘त्रिशूर पूरम’ पर्व

सभी मंदिरों के त्‍योहारों की जननी के तौर पर मनाया जाने वाला केरल का त्‍योहार त्रिशूर पूरम इस साल लॉकडाउन के कारण नहीं मनाया जाएगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 05:27 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 05:27 PM (IST)
Covid-19: केरल में इस बार नहीं मनाई जाएगी ‘त्रिशूर पूरम’ पर्व
Covid-19: केरल में इस बार नहीं मनाई जाएगी ‘त्रिशूर पूरम’ पर्व

त्रिशूर, प्रेट्र। देशभर में लॉकडाउन को देखते हुए केरल में हर वर्ष मनाए जाने वाले त्‍योहार ‘त्रिशूर पूरम (Thrissur Pooram)’ को रद किया गया है। केरल सरकार ने बुधवार को यह जानकारी दी। इस त्‍योहार को सभी मंदिरों के त्‍योहारों की जननी के तौर पर मनाया जाता है। पारंपरिक संगीत समारोह, संगीत कलाकारों की टुकड़ी के साथ मनाया जाने वाला यह त्‍योहार 2 मई को थ्रिसिस्क शहर के थेक्किंकडू मैदान (Thekkinkadu Maidan) में मनाया जाना था।

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कृषि मंत्री और जिले के विधायक वीएस सुनील कुमार ने मीडिया को बताया कि त्‍योहार का आयोजन करने वाले दो देवस्वोम (devaswom) बोर्डों के सदस्य व राज्य सरकार ने विचार-विमर्श कर पुजारियों को इससे मना किया।

मंत्री ने बताया, ‘महामारी के कारण उत्‍पन्‍न संकट के हालात पर विचार करने के बाद सर्वसम्मति से प्रसिद्ध त्रिशूर पूरम त्योहार को रद करने का निर्णय लिया गया है और केवल आवश्‍यक अनुष्‍ठान का आयोजन किया जाएगा।’ वडक्कुनाथन भगवान शिव मंदिर में पांच लोग इस आयोजन में हिस्‍सा लेंगे और श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। मुख्‍य पूरम के अलावा छोटे पूरम भी इस त्‍योहार में शामिल होते हैं और इस त्‍योहार के अंत में पटाखे भी चलाए जाते हैं।

उन्होंने बताया, ‘लॉकडाउन के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए त्रिशूर पूरम से संबंधित सभी आयोजनों को रद कर दिया गया है।’ इसके पहले भी कई बार यह त्‍योहार रद किया गया है। वर्ष 1948 में राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की हत्‍या होने के कारण और चीन से युद्ध के दौरान भी त्‍योहार को रद किया गया था।

पूरम प्रदर्शनी आमतौर पर 1 अप्रैल को शुरू होती है और मई के अंतिम सप्‍ताह में खत्‍म होती है। दो सदी पुराने इस त्‍योहार की शुरुआत वर्ष 1798 में हुई थी जो तत्‍कालीन बादशाह राजा राम वर्मा ने की थी। वे शक्‍तन थमपूरन के नाम से लोकप्रिय थे और कोचिन के ताकतवार शासक थे।


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