पराली का सही इस्तेमाल: पराली से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला प्लांट हरियाणा में लगेगा
पराली से बायोगैस बनाने वाले संयंत्र की क्षमता इतनी है कि साल में करीब 20 हजार एकड़ खेतों की पराली को बायोगैस में बदला जा सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पराली के सार्थक इस्तेमाल की दिशा में एक बड़ा कदम उठा है। इसके तहत पराली से बायोगैस तैयार करने के लिए देश का पहला संयंत्र हरियाणा के करनाल में स्थापित किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि इससे पराली खेतों में जलाने की प्रवृत्ति में कमी आएगी और प्रदूषण का स्तर कम करने में मदद मिलेगी। पराली से बनने वाली बायोगैस का इस्तेमाल सीएनजी से चलने वाले वाहनों में किया जा सकता है।
करनाल में बायोगैस संयंत्र का भूमिपूजन
देश की सबसे बड़ी सीएनजी वितरक कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ईएस रंगनाथन ने करनाल में संयंत्र का भूमिपूजन किया। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि विशेष मशीन लगाई जाएंगी, जो धान की पराली को काटकर उसका गट्ठर बनाएंगी, ताकि पूरे साल के लिए पराली का भंडारण किया जा सके।
पराली से बायोगैस बनाने वाला संयंत्र
पराली से बायोगैस बनाने वाले संयंत्र की क्षमता इतनी है कि साल में करीब 20 हजार एकड़ खेतों की पराली को बायोगैस में बदला जा सकता है। कंपनी इस बायोगैस का वितरण करनाल में करेगी।
यह संयंत्र 2022 तक तैयार हो जाएगा
कंपनी के मुताबिक यह संयंत्र 2022 तक तैयार हो जाएगा। संयंत्र से हर दिन अधिकतम 10 हजार किलोग्राम बायोगैस का उत्पादन होगा। मुख्य कच्चे माल के रूप में धान की पराली का इस्तेमाल होगा। कंपनी ने कहा है कि संयंत्र से प्राप्त अवशेष जैविक होंगे और इनका इस्तेमाल जैविक खेती में खाद के रूप में किया जा सकेगा।