Coronavirus In World: एक सप्ताह में दोगुने हुए मरीज, WHO बोला भारत से सीख ले दुनिया
Coronavirus World WHO से पहले पाकिस्तानी नेता और UN भी कोरोना वायरस को रोकने के लिए भारत के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। जानें- क्यों दुनिया भर में हो रही भारत की तारीफ।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कोरोना वायरस (Coronavirus) का मुकाबला करते हुए पूरी दुनिया चौथे महीने में प्रवेश कर रही है। इस दौरान तमाम प्रयास और एहतियातों के बावजूद कोविड-19 (COVID-19) का वैश्विक फैलाव लगातार तेज हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। WHO के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि संक्रमण के इस दौर में जरूरतमंदों तक भोजन व अन्य आवश्यक सेवाएं पहुंचाना बेहद आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए, दुनिया को इससे सीख लेने की सलाह दी है। WHO से पहले पाकिस्तान के कुछ नेताओं और यूएन द्वारा भी भारत के प्रयासों की सराहना की जा चुकी है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक दुनिया भर में अब तक (दो अप्रैल 2020 की दोपहर 3 बजे तक) कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या सवा नौ लाख से ज्यादा हो चुकी है, जबकि 46 हजार से ज्यादा लोग इस वायरस की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं। वहीं WHO की वेबसाइट पर दुनिया भर में कोरोना पीड़ित मरीजों की संख्या साढ़े आठ लाख से ज्यादा और मृतकों की संख्या तकरीबन 42 हजार बताई जा रही है। लगभग तीन माह पहले दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब दुनिया के 205 देशों में दहशत का पर्याय बन चुका है। WHO के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में दुनिया भर में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की संख्या दोगुनी हो चुकी है। इस सप्ताह दुनियाभर में संक्रमितों की संख्या 10 लाख से ज्यादा और मृतकों का आंकड़ा 50 हजार पार करने की आशंका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आशंका जताई है कि कोरोना पीड़ित मरीजों का आंकड़ा अभी और बढ़ेगा।
गरीब व पिछड़े तबके को राहत की दरकार
WHO के महानिदेशक टैड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए उस योजना का जिक्र किया है, जिसमें जररूतमंदों के भोजन व अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए 24 अरब डॉलर (1827 अरब रुपये) के राहत पैकेज की घोषणा की गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई देशों में लोगों को घरों से निकलने से रोका जा रहा है। इसके लिए कहीं लॉकडाउन तो कहीं कर्फ्यू लगाया गया है। इससे वायरस को फैलने से तो रोका जा सकता है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर तबके पर इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में दुनिया के अन्य देशों को भारत से सीख लेते हुए जरूरतमंदों तक भोजन व उनकी जरूरत की चीजों की पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिये।
रिलीफ फंड का ऐसे इस्तेमाल कर रहा भारत
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की थी। उन्होंने लोगों से घरों में रहने की अपील करते हुए, अपने संबोधन में ही भरोसा दिला दिया था कि देश की जनता को किसी भी चीज के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है। लोगों को लॉकडाउन के दौरान भी उनकी जरूरत की हर चीज उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए 24 अरब डॉलर के राहत पैकेज (रिलीफ फंड) की घोषणा की थी। इस राहत पैकेज का इस्तेमाल अगले तीन महीने तक देश के 80 करोड़ वंचितों तक भोजन पहुंचाने, 20.40 करोड़ निर्धन महिलाओं में नकदी वितरण और 8 करोड़ से ज्यादा घरों तक खाना पकाने के लिए मुफ्त ईंधन पहुंचाने में किया जाना है।
विकासशील देशों के लिए कर्ज माफी की अपील
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत की तर्ज पर गरीब व पिछड़ी आबादी तक राहत पहुंचाना कई विकासशील देशों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। ऐसे देशों को कर्ज से राहत मिलना जरूरी है। विकासशील देशों को आर्थिक बर्बादी से बचाने और मुसीबत की इस घड़ी में वहां के जरूरतमंद लोगों को बचाने के लिए कर्ज में राहत दिया जाना बेहत आवश्यक है। महानिदेशक घेबरेयेसस ने विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से विकासशील देशों के लिए कर्ज माफी की अपील की है।
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