Move to Jagran APP

COVID-19 Tracing Apps: 50 देशों में ट्रेसिंग एप्स का हो रहा इस्तेमाल, कई हैं चुनौतियां

COVID-19 Tracing Apps एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के अनुसार चीन के सिस्टम में नागरिकों की पहचान स्थान और ऑनलाइन भुगतान के इतिहास की जानकारी रखी जाती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 04:16 PM (IST)
COVID-19 Tracing Apps: 50 देशों में ट्रेसिंग एप्स का हो रहा इस्तेमाल, कई हैं चुनौतियां
COVID-19 Tracing Apps: 50 देशों में ट्रेसिंग एप्स का हो रहा इस्तेमाल, कई हैं चुनौतियां

नई दिल्ली, जेएनएन। COVID-19 Tracing Apps दुनिया में कई देश अपने यहां कोरोना वायरस ट्रेसिंग एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोविड-19 संक्रमित की पहचान और फिर उसके संपर्क में आए लोगों को ट्रैक और सूचित कर महामारी के प्रसार को सीमित करने में तकनीक की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के अनुसार, करीब 50 देशों की सरकारों ने ट्रेसिंग एप्स को अपने यहां लागू किया है। हालांकि गोपनीयता से जुड़े विषयों के कारण इन्हें लेकर काफी चिंता भी जताई जा रही हैं। उपयोगकर्ता के डाटा को एकत्रित करने वाले एप्स अलग-अलग होते हैं।

loksabha election banner

चीन के सिस्टम में नागरिकों की पहचान, स्थान और ऑनलाइन भुगतान के इतिहास की जानकारी रखी जाती है, वहीं जर्मनी के कोरोना की चेतावनी देने वाले एप गोपनीयता के सख्त नियमों का पालन करते हैं। ये एप्स उपयोगी हैं, लेकिन इनसे जुड़ी कई समस्याएं भी हैं।

भारत में आरोग्य सेतु: देश में संपर्क टे्रसिंग के लिए आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें आपको ब्लूटूथ और लोकेशन डाटा को ऑन रखना होता है। जिसके बाद आप जान सकेंगे कि आपके नजदीकी इलाकों में कितने कोविड-19 संक्रमित हैं। साथ ही यह आपको बताता है कि कहीं आप कोरोना वायरस से संक्रमित होने के जोखिम में तो नहीं हैं।

काम के एप, लेकिन कई समस्याएं भी: गोपनीयता से जुड़ी चिंताओं के बावजूद विशेषज्ञों ने कहा है कि एप्स वास्तव में संपर्क ट्रेसिंग में सुधार करने और संक्रमण की श्रृंखलाओं को पहचानने में कारगर साबित हो सकते हैं। किसी एप को बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं की आवश्यकता होती है। एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के अनुसार जर्मनी में शुरू में कहा गया था कि कोरोना वार्न एप को स्थापित करने के लिए करीब 60 फीसद आबादी की जरूरत होगी, लेकिन बाद में इस आंकड़े को वहां के स्वास्थ्य मंत्री जेंस स्पैन ने खारिज कर दिया और कहा कि कुछ लाख लोग भी इसे डाउनलोड करते हैं तो वे इससे संतुष्ट होंगे। अभी तक जर्मनी के करीब एक करोड़ 40 लाख लोगों ने इसे इंस्टॉल किया है। अब देश में स्थिति काफी नियंत्रण में हैं। दूसरी ओर, इन एप्स को एक ही देश के लिए विकसित किया जाता है, जिससे जब कोई व्यक्ति दूसरे देश में जाता है तो उस देश में इसकी कोई उपयोगिता नहीं रह जाती है।

अमेरिका की अलग समस्या: अमेरिका में पूरे देश के लिए कोई भी एक एप विकसित नहीं किया गया है। अलग-अलग राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े प्राधिकरणों को किसी एक के इस्तेमाल का निर्णय लेना होता है। एप्पल और गूगल ने घोषणा की थी कि वे अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में संपर्क ट्रेंसिंग एप का निर्माण कर रहे हैं (जर्मनी का एप उनकी तकनीक पर आधारित है)। हालांकि जुलाई के मध्य तक सिर्फ चार अमेरिकी राज्यों ने ही कहा कि वे इस परियोजना में भाग लेंगे।

[स्रोत एमआइटी टेक्नोलॉजी रिव्यू]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.