... तो क्या COVID-19 vaccine से पहले ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस!
Coronavirus Vaccine Update प्रो. माटेओ ने कहा कि जिस प्रकार मरीजों में वायरल लोड कम मिल रहा है और लोग कम गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। Coronavirus Vaccine Update कोरोना वायरस (कोविड-19) कमजोर हो रहा है। संभव है कि वैक्सीन आने से पहले खुद ही खत्म हो जाए। जो वायरस पहले मरीजों के लिए मौत का फरमान बन गया था, उससे लोग अब कम बीमार पड़ रहे हैं और गंभीरता भी कम हो गई है। डेलीमेल के अनुसार कोविड-19 शुरुआत में आक्रामक बाघ की तरह था, अब वह जंगली बिल्ली बन गया है। वह जल्द ही अपनी मौत खुद ही मर जाएगा। यह दावा है इटली के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर माटेओ बासेती का।
हालांकि दुनियाभर के कई विशेषज्ञों को उनके दावे में दम नहीं दिखता है। सैन मार्टिनो हॉस्पिटल के संक्रमण रोग विभाग के प्रमुख प्रो. माटेओ पूरे विश्वास से कहते हैं कि मार्च और अप्रैल में मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल आ रहे थे। उन्हें तुरंत ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी या फिर वेंटिलेटर की। अब ऐसा नहीं है। 80-90 वर्ष के उम्र के बुजुर्ग भी अब बिना किसी सपोर्ट के आसानी ने सांस लेते हैं और जल्द ही सही हो जाते हैं। जबकि सामान्य रोगियों के स्वस्थ होने की रफ्तार काफी बढ़ गई है।
वैक्सीन के बिना ही मिल जाएगी कामयाबी : प्रो. माटेओ ने कहा कि जिस प्रकार मरीजों में वायरल लोड कम मिल रहा है और लोग कम गंभीर रूप से बीमार पड़ रहे हैं। उससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि वैक्सीन के बिना भी हम यह जंग जीत जाएंगे और कोरोना खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा। इसके लिए आक्रामक बाघ और जंगली बिल्ली का उदाहरण देते ह
कम हो रहा है वायरल लोड : कोई व्यक्ति वायरस की कितनी मात्रा से संक्रमित होता है उसे वायरल लोड कहा जाता है। वायरल लोड ही किसी मरीज को हल्के से लेकर गंभीर रूप से बीमार करने का प्रमुख पैमाना है। एक बार वायरस शरीर में पहुंच जाता है तो सेल डिविजन की मदद से अपनी प्रतिकृतियां बनाता है। प्रोफेसर माटेओ का कहना है कि नए रोगियों में बहुत कम वायरल लोड मिल रहा है, जो इस बात का सुबूत है कि कोरोना कमजोर पड़ा है। प्रोफेसर दावा करते हैं कि इस बात के पुख्ता क्लीनिकल सुबूत हैं कि कोविड-19 कमजोर पड़ा है।
कोरोना वायरस के खत्म होने के दावे के पीछे ये है तर्क : प्रोफेसर माटेओ के अनुसार हालात तेजी से सुधरे हैं। इसके प्रमुख जैविक कारक हमारी तैयारी में छिपे हुए हैं। कोविड-19 में हुए म्यूटेशन के कारण यह कमजोर हुआ है। म्यूटेशन के कारण इसकी जान लेने की ताकत कम हुई है, लेकिन फैलने की ताकत बढ़ी है।
म्यूटेशन के कारण इसकी फेफड़ों पर हमला करने की ताकत कुछ कमजोर हो गई है। शारीरिक दूरी और साफ-सफाई के नए तौर-तरीकों से वायरस को फैलने का कम मौका मिल रहा है। मरीजों में वायरल लोड कम हुआ है, जिसके कारण उनका इलाज आसान हो गया है। हमारा मेडिकल सिस्टम पहले से ज्यादा तैयार है, उसे हालात का अंदाजा है।
एचआइवी खुद पड़ा था कमजोर : प्रोफेसर माटेओ के समर्थन में एचआइवी का उदाहरण है। अमेरिका के नेशनल हेल्थ सिस्टम (एनएचएस) के 2014 के शोध में कहा गया, ‘एचआइवी के फैलने और इसकी जान लेने की क्षमता के ग्राफ से स्पष्ट है कि यह कमजोर हुआ है। म्यूटेशन के कारण वायरस अपनी प्रतिकृतियां तो तेजी से बना पा रहा है, लेकिन इसकी जान लेने की क्षमता इसके कारण कमजोर हो गई है।’ यही नहीं यदि हम मानव इतिहास को देखें तो कई वायरस इंसानों के साथ हजारों साल से बने हुए हैं और समय के साथ कमजोर पड़ते गए हैं।
हमें रहना है सावधान : दुनिया के बाकी एक्सपर्ट अपने इटैलियन सहयोगी की राय से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि प्रो. माटेओ के दावे बेसिर-पैर के हैं। कोरोना के खिलाफ हमें अपनी जंग कमजोर नहीं होने देनी है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ वुलॉनगोंग के डॉ. गिडोन प्रो. माटेओ के दावों को बकवास बताते हैं। अमेरिकी की कोलंबिया यूनिवर्सिटी की डॉ. एंजेला रासमुसिन कहती हैं कि प्रोफेसर के दावों के समर्थन में कोई भी सुबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि गंभीर रोगियों की संख्या में गिरावट का अर्थ कोरोना वायरस का कमजोर होना नहीं है। ब्रिटेन की ग्लास्गो यूनिवर्सिटी के डॉ. ऑस्कर मैक्लीन कहते हैं कि कोरोना के कमजोर होने का दावा तर्कहीन है। वह प्रोफेसर माटेओ के दावों को सार्स का उदाहरण देकर खारिज करते हैं।
मार्च-अप्रैल में जिस प्रकार के गंभीर मरीज आ रहे हैं वे पिछले हफ्तों में नहीं आए हैं। पिछले तीन-चार हफ्तों में तस्वीर काफी हद तक बदल गई है। पहले ज्यादातर मरीजों को निमोनिया होता था, जिन्हें संभालना मुश्किल था। अब ऐसा नहीं है। कोविड-19 की मारक क्षमता अब पहले जैसी नहीं रही।
प्रो. माटेओ, इटली के सैन मार्टिनो हॉस्पिटल के संक्रमण रोग विभाग के प्रमुख