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Coronavirus impacts on human body: शरीर को इस तरह नुकसान पहुंचाता है कोरोना वायरस

Coronavirus News Update शोधकर्ताओं का दावा है कि यह वायरस फेफड़े लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे लोगों में कोविड-19 की जटिलताओं को समझा जा सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 09:42 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 01:49 PM (IST)
Coronavirus impacts on human body: शरीर को इस तरह नुकसान पहुंचाता है कोरोना वायरस
Coronavirus impacts on human body: शरीर को इस तरह नुकसान पहुंचाता है कोरोना वायरस

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus impacts on human body कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए दवा और टीके को विकसित करने के प्रयासों के बीच शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में लघु अंगों को विकसित किया है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कोरोना वायरस शरीर को कैसे और कितना नुकसान पहुंचाता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह वायरस फेफड़े, लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे लोगों में कोविड-19 की जटिलताओं को समझा जा सकता है। नेचर के अनुसार इन ऑर्गेनाइड्स (कृत्रिम रूप से निर्मित कोशिकाओं या ऊतकों का समूह जो अंगों जैसे दिखते हैं) के अध्ययन से पता चला है कि वायरस का हमला फेफड़े से लीवर, किडनी और आंतों तक होता है। 

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शोधकर्ता दवाओं के साथ इन अंगों पर प्रयोग कर रहे हैं कि ताकि यह देखा जा सके कि इस तरह का उपचार लोगों के लिए उम्मीद हो सकता है या नहीं। चिकित्सक जानते हैं कि कोरोना वायरस का मानव शरीर पर विनाशकारी प्रभाव होता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह नुकसान सीधे वायरस के द्वारा होता है या फिर संक्रमण की दूसरी जटिलताओं के माध्यम से। नेचर के अनुसार कई समूह ऑर्गेनाइड्स के अध्ययन में जुटे हैं। यह पता लगाने के लिए कि शरीर में वायरस कहां जाता है और इससे कौनसी कोशिकाएं संक्रमित होती हैं और कैसे नुकसान होता है।

रक्त में वायरस होने पर : फेफड़ों से सार्स-सीओवी-2 अन्य अंगों में फैल सकता है, लेकिन शोधकर्ताओं को तब तक यकीन नहीं था जब तक कि मोंटसेराट और उनके सहयोगियों द्वारा 4 मई को सेल में अध्ययन प्रकाशित नहीं हुआ। इसमें बताया कि वायरस कैसे यात्रा कर रहा था। ऑर्गेनाइड्स प्रयोगों में, उन्होंने दिखाया कि सार्स-सीओवी-2 अंत:स्तर को संक्रमित कर सकता है। कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं की परत बना सकती हैं, जो वायरल पार्टिकल्स को रक्त में मिलने और पूरे शरीर में प्रसारित करने की अनुमति देती हैं। कनाडा के वैंकूवर में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के जेनेटिक इंजीनियर जोसफ पेनिंगर कहते हैं कि कोविड-19 वाले लोगों में क्षतिग्रस्त रक्त वाहिकाओं की पैथोलॉजी रिपोर्ट भी इस परिकल्पना का समर्थन करती हैं।

फेफड़ों में वायरस का प्रभाव देता है प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को गति : ऑर्गेनाइड्स के जरिए यह निरीक्षण किया जाता है कि सार्स-सीओवी-2 श्वसन तंत्र प्रणाली की कोशिकाओं में ऊपरी वायुमार्ग से प्रवेश के बाद फेफड़ों में क्या करता है ।नेचर के अनुसार जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के स्टेम सेल बायोलॉजिस्ट कजुओ ताकायामा और उनके सहयोगियों ने चार प्रकार के ब्रोंकियल ऑर्गेनाइड्स विकसित किए हैं। सार्स-सीओवी-2 वायरस से ऑर्गेनाइड्स को संक्रमित किया तो पाया कि वायरस ने मुख्य रूप से स्टेम सैल को लक्ष्य बनाया।

न्यूयॉर्क की वेल कॉर्नेल मेडिसिन के स्टेम सैल बायोलॉजिस्ट शुइबिंग चेन ने छोटे फेफड़े के जरिए दिखाया है कि ऊपरी वायुमार्ग से वायरस फेफड़ों में प्रवेश करता है और इसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि कुछ कोशिकाएं संक्रमित होने के बाद मर जाती हैं और यह वायरस कीमोकिंस और साइटोकाइनेस-3 प्रोटीन के उत्पादन के लिए प्रेरित करता है, जो कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को गति प्रदान कर सकता है। कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार बहुत से लोग प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अनुभव करते हैं, जिसे साइटोकिन तूफान के नाम से जाना जाता है और यह बहुत घातक होता है और इससे मृत्यु तक हो सकती है।

किडनी सहित कई अंगों को प्रभावित करने की क्षमता : ऑर्गेनाइड्स के अध्ययन से पता चलता है कि रक्त में वायरस होने पर यह सीधे किडनी सहित कई अंगों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि वायरस से किडनी संक्रमित होने और कुछ कोशिकाओं की मृत्यु हो गई, लेकिन शोधकर्ता निश्चित नहीं हैं कि यह किडनी के काम नही करने के कारण है या नहीं। लीवर ऑर्गेनाइड्स के अन्य अध्ययन में पाया गया कि वायरस उन कोशिकाओं को संक्रमित कर मार सकता है जो पित्त बनाती हैं।

इसलिए पसंद हैं ऑर्गेनाइड्स : स्पेन के बार्सिलोना में इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइंजीनियरिंग ऑफ कैटालोनिया की स्टेम सैल बायोलॉजिस्ट नुरिया मॉन्टसेराट के मुताबिक, आर्गेनाइड्स ज्यादा बेहतर ढंग से बताते हैं कि मानव ऊतकों के साथ सार्स-सीओवी-2 क्या करता है। उन्हें कई प्रकार की कोशिकाओं में शामिल किया जा सकता है और कुछ हफ्तों में ही वे मूल अंग के आकार में आ जाते हैं। साथ ही वे जानवरों के मॉडल की तुलना में कम महंगे होते हैं।

सीमाएं भी : नीदरलैंड्स के वायरोलॉजिस्ट बर्ट हैगमैंस के मुताबिक, ऑर्गेनाइड्स की सीमाएं भी हैं, क्योंकि वे शरीर में अंगों के बीच होने वाली क्रासटॉक को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। इसका अर्थ है कि प्राप्त होने वाले निष्कर्षों को अभी भी पशु मॉडल और नैदानिक अध्ययनों में मान्य होने की आवश्यकता होगी।

तेजी से किए जा रहे दवा परीक्षण : वैज्ञानिक यह भी अध्ययन कर रहे हैं कि क्या ऑर्गनॉइड्स का उपयोग यह जांचने में किया जा सकता है कि शरीर में दवा की कैसी प्रतिक्रिया होती है। उम्मीद है कि ऑर्गेनाइड्स का उपयोग संभावित कोविड-19 उपचारों का परीक्षण करने के लिए किया जा सकता है। बायोलॉजिस्ट शुइबिंग चेन ने अन्य बीमारियों के लिए अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन द्वारा अनुमोदित 1,200 दवाओं की जांच की और पाया कि कैंसर की दवा इमैटिनिब ने सार्स-सीओवी-2 को फेफड़े में प्रभावी रही। कोविड-19 के उपचार के रूप में दवा के कई मानव नैदानिक परीक्षण शुरू किए गए हैं। अन्य समूह भी कुछ सफल ऑर्गेनाइड्स में कोरोना वायरस के खिलाफ मौजूदा दवाओं का परीक्षण कर रहे हैं।


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