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Coronavirus News Update: RT PCR जांच के बाद जरूर पूछें सीटी वैल्यू, इलाज में मिलेगी मदद

Coronavirus News Update साइकिल थ्रेशोल्ड यानी सीटी वैल्यू क्या है और उपचार में यह किस कदर मददगार है पेश है एक नजर...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 08:51 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 08:51 AM (IST)
Coronavirus News Update: RT PCR जांच के बाद जरूर पूछें सीटी वैल्यू, इलाज में मिलेगी मदद
Coronavirus News Update: RT PCR जांच के बाद जरूर पूछें सीटी वैल्यू, इलाज में मिलेगी मदद

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Coronavirus News Update डॉक्टरों का मानना है कि अगर किसी व्यक्ति की आरटीपीसीआर जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई हो, लेकिन उसकी सीटी वैल्यू 24 से ज्यादा है तो उसे और उससे खतरा न के बराबर है। इसका सीधा सा मतलब है कि उससे दूसरे लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी बेहद कम है।

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हालांकि, विशेषज्ञों का एक वर्ग इससे पूरी तरह सहमत नहीं है। इसलिए अगर आप कोरोना की आरटीपीसीआर जांच करा रहे हैं, तो इस वैल्यू को जरूर जानें। साइकिल थ्रेशोल्ड यानी सीटी वैल्यू क्या है और उपचार में यह किस कदर मददगार है, पेश है एक नजर...

जानने की जरूरत : हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के डॉ. केके गुप्ता कहते हैं, ‘कोरोना के लक्षण दिखने के बाद जब आप आरटीपीसीआर जांच करवाएं तो अपनी सीटी वैल्यू जरूर पूछें। संभव हो लैब आपकी रिपोर्ट में इसका उल्लेख न करती हों, लेकिन जब आप पूछेंगे तो वे बताने को मजबूर हो जाएंगी। अगर आपकी सीटी वैल्यू 24 से ज्यादा है तो इसका मतलब है कि आपसे संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर है, जबकि कम है तो संक्रमण की दृष्टि से आप ज्यादा खतरनाक हैं।

हालांकि, 24 से ज्यादा सीटी वैल्यू वालों को भी एहतियात बरतने की जरूरत है।’ यूरोपीयन जर्नल ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इन्फेक्शियस डिजीज में हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 33-34 से ऊपर सीटी वैल्यू वाले संक्रामक नहीं हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे देनी चाहिए। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ सीटी वैल्यू के आधार पर कोरोना मरीजों की छुट्टी के पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि सीटी वैल्यू और कोरोना संक्रमण के संबंधों पर अभी और अध्ययन की जरूरत है।

क्या है सीटी वैल्यू : आरटीपीसीआर टेस्ट यानी रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट में वायरस का डीएनए या आरएनए लेकर उसमें मॉलिक्यूल (अणु) की मात्रा जांची जाती है। यह जांच कई साइकिल (चक्र) में होती है। हर चक्र में डीएनए या आरएनए मॉलिक्यूल दोगुने होते जाते हैं। सीटी वैल्यू से पता चलता है कि कितने चक्र के बाद वायरस का पता चल पाया। यानी, सैंपल में वायरस की मात्रा कम होगी तो ज्यादा चक्रों में उसका पता चलेगा और मात्रा ज्यादा होगी तो कम चक्रों में उसकी जानकारी हो जाएगी। हालांकि, 40 चक्रों के बाद एक निगेटिव सैंपल भी नॉन स्पेसिफिक पॉजिटिव सिग्नल देने लगता है।

इलाज में मिलेगी मदद : डॉक्टरों को किसी संक्रमित व्यक्ति की सीटी वैल्यू का पता चल जाए तो उसकी देखरेख व निगरानी में मदद मिलती है। यानी, डॉक्टर समय पर यह तय कर पाएंगे कि मरीज को वेंटीलेटर आदि के सपोर्ट की जरूरत है अथवा नहीं। अध्ययन के हवाले से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एविडेंस बेस्ड मेडिसिन (सीईबीएम) के निदेशक प्रो. कार्ल व रिसर्च फेलो टॉम जेफर्सन कहते हैं कि सीटी वैल्यू मरीज के इलाज का निर्धारण करने में मददगार हैं और इसकी मदद से मृत्युदर भी कम की जा सकती है।


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