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लॉकडाउन के चलते वैश्विक स्तर पर सुधरी आबोहवा, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में आई कमी

कोरोना संक्रमण पर रोक लगाने को लगाए गए लॉकडाउन से वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में अभूतपूर्व कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने नए अध्ययन में पाया है कि यह कमी द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उत्सर्जन में आई कमी से भी ज्यादा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 01:54 AM (IST)
लॉकडाउन के चलते वैश्विक स्तर पर सुधरी आबोहवा, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में आई कमी
लॉकडाउन से वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में अभूतपूर्व कमी आई है।

नई दिल्ली, एजेंसियां। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में अभूतपूर्व कमी आई है। अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं की एक टीम ने नए अध्ययन में पाया है कि यह कमी 2008 के वित्तीय संकट, 1979 के तेल संकट या विश्वयुद्ध द्वितीय के दौरान उत्सर्जन में आई कमी से भी ज्यादा है। कार्बन डाइऑक्साइड मानव जनित प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है।

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वायुमंडल में इसका स्तर बढ़ने से वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और जलवायु में बदलाव आ रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को घटाने के लिए दुनियाभर में मांग उठ रही है और प्रयास भी किए जा रहे हैं। पत्रिका 'नेचर कम्युनिकेशंस' में प्रकाशित शोध में पाया गया कि इस वर्ष के पहले छह महीने के दौरान 2019 के इसी अवधि की तुलना में 8.8 फीसद कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ और कुल कमी 1551 मिलियन टन हुआ है।

शोध में कोरोना का वैश्विक स्तर पर ऊर्जा उपभोग पर हुए असर को भी उजागर किया गया है। इसमें सुझाव दिया गया है कि महामारी के बाद वैश्विक तापमान को स्थिर करने के लिए मूलभूत कदम उठाए जा सकते हैं। चीन के शिंगुआ विश्वविद्यालय के झू लियू ने कहा, 'हमारा शोध इसलिए भी अलग है, क्योंकि इसमें वास्तविक आंकड़ों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है।' इसमें हर देश में लॉकडाउन लगाए जाने के दौरान आए उत्सर्जन में कमी का आंकड़ा शामिल किया गया है।'

शोधकर्ताओं ने पाया कि अप्रैल में जब कोरोना वायरस के संक्रमण का पहला दौर चरम पर था और जब अधिकतर बड़े देशों ने लॉकडाउन लगाया था तब उत्सर्जन में 16.9 फीसद की कमी आई थी। अध्ययन में यह भी दिखाया गया है कि दुनिया के किस हिस्से की अर्थव्यवस्था पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है।

अमेरिका के बार्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डैनियल कम्मेन ने कहा, 'घर से काम करने की बाध्यता की वजह से परिवहन से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में पूरी दुनिया में 40 फीसद कमी आई। इसके अलावा ऊर्जा और उद्योग क्षेत्रों में क्रमश: 22 और 17 फीसद की कमी आई है।'


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