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लॉकडाउन में ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान बेहद सतर्क रहने की जरूरत, बरतें ये सावधानी

Cyber Crime ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान भी बेहद सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि आज के समय में कोई भी आपके सिस्टम में घुस सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 02:56 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 02:56 PM (IST)
लॉकडाउन में ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान बेहद सतर्क रहने की जरूरत, बरतें ये सावधानी
लॉकडाउन में ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान बेहद सतर्क रहने की जरूरत, बरतें ये सावधानी

लालजी जायसवाल। Cyber Crime: इस तालाबंदी के दौर में घर से काम करने वाले लोगों के लिए इंटरनेट अहम भूमिका निभा रहा है। हालांकि इस वजह से आज अपराधियों द्वारा अपराध करने की प्रकृति भी बदल गई है। साइबर अपराधियों ने गरीबों तथा कम सतर्क लोगों की जेब पर वार करना शुरू कर दिया है। गृह मंत्रलय की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले करीब एक माह में साइबर क्राइम के मामलों में 86 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हाल ही में ठगों ने ‘पीएम केयर्स’ से मिलते-जुलते नामों से वेबसाइट बनाकर भी लोगों से ठगी की है। इस बीच फर्जी वेबसाइट के जरिये पैसे लेकर राशन कार्ड बनाने के मामले भी सामने आए है। फर्जी वेबसाइट के जरिये अपराधी, लोगों को ऑनलाइन पंजीकरण करने और राशन कार्ड बनाने के एवज में पांच सौ रुपये तक का शुल्क किसी माध्यम से अपने खाते में जमा कराते हैं।

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इस आपदा में कुछ शातिर इसका बेजा लाभ उठा रहे हैं। आज अपराधी, सरकार के समानांतर एक फेक नेटवर्को का जाल तैयार करते जा रहे हैं। जैसे अपराधी नकली कोरोना वायरस की दवा से लेकर नकली रीचार्ज और नकली नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन का लिंक भेज कर लोगों को फंसा रहे हैं। साथ ही फर्जी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट बनाकर लोगों को ज्यादा डिस्काउंट पर फेस मास्क और सैनिटाइजर तथा आवश्यक वस्तु आदि बेचने के नाम पर लोगों की बैंक डिटेल प्राप्त कर धोखाधड़ी कर रहे हैं तथा संक्रमण से बचाव के लिए सरकारी साइट्स से मिलता-जुलता पेज बनाकर लोगों को भरपूर लूट रहे हैं। यहां तक कि लोगों को फोन कर कोरोना संक्रमण किट उपलब्ध करने के नाम पर भी धोखाधड़ी करते देखे जा रहे हैं। जालसाज आपदा प्रबंधन का फर्जी बैंक खाता संख्या सोशल मीडिया पर वायरल करके उसमें पैसा स्थानांतरण करने संबंधी जालसाजी को भी तूल दे रहे हैं।

अंशदान के नाम पर पीएम केयर फंड की फर्जी यूपीआइ आइडी बनाकर धन स्थानानांतरण संबंधी धोखाधड़ी कर लोगों में सरकार के कार्यों के प्रति संदेह पैदा करने का कार्य कर रहे हैं। कुछ दिन पहले जैसे ही केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों के लिए इएमआइ में तीन महीने की छूट प्रदान करने की घोषणा की, साइबर अपराधी लोगों को फोन कर उनके डेबिट कार्ड और खाते की जानकारी जुटाने लगे तथा ईएमआइ, ब्याज छूट आदि की बात कर उनसे बैंकिंग डाटा प्राप्त कर उनके पैसों को निगलने लगे। आपदा के समय जब बेहद विश्वास और एकजुटता की दरकार होती है, तब ऐसी घटनाएं जनता के मनोबल को तोड़ने का काम करती हैं।किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचना कोई बड़ी बात नहीं है, बशर्ते व्यक्ति सतर्कता और समझदारी से काम ले। आज अपराधियों द्वारा महामारी से संबंधित लिंक स्वास्थ्य अधिकारियों का दावा करके भेजे जाते हैं जिसका उद्देश्य पीड़ितों को एक नए वेबपेज से जोड़ना होता है और वे इस तरह ई-मेल पता और पासवर्ड के साथ लॉगिन करवाते हैं।

स्कैमर्स तब संवेदनशील जानकारी का उपयोग करने के लिए अपनी क्रेडिट का उपयोग करते हैं और पैसे चोरी कर लेते हैं। अगर किसी को भी नेटवर्किग कार्यों में संदेह पैदा होता है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, बल्कि इसके लिए अपने नजदीकी किसी जानकार व्यक्ति की सलाह लेनी चाहिए और इसकी शिकायत साइबर क्राइम पोर्टल अथवा नजदीकी पुलिस थाने में करना चाहिए। किसी वेबसाइट पर या किसी यूपीआ आइडी में पैसे डालने से पहले उसकी जांच करना जरूरी होता है। टेक्स्ट द्वारा प्राप्त लिंक पर कदापि क्लिक नहीं करना चाहिए। गूगल और सोशल मीडिया पर सूचीबद्ध नंबरों पर भुगतान करने से बचना चाहिए। यहां तक कि घर से काम करते समय यानी ‘वर्क फ्रॉम होम’ के दौरान भी बेहद सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि आज के समय में कोई भी आपके सिस्टम में घुस सकता है।

(लेखक इलाहाबाद विवि में अध्येता हैं)


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