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द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना वायरस महामारी मानवता पर सबसे बड़ा संकट बन चुका है - विदेश सचिव

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना वायरस महामारी मानवता पर सबसे बड़ा संकट बन चुका है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 09:50 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 09:50 AM (IST)
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना वायरस महामारी मानवता पर सबसे बड़ा संकट बन चुका है - विदेश सचिव
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना वायरस महामारी मानवता पर सबसे बड़ा संकट बन चुका है - विदेश सचिव

नई दिल्ली, एएनआइ। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से कोरोना वायरस महामारी मानवता पर सबसे बड़ा संकट बन चुका है। उन्होंने कहा कि दुनिया ने दशकों में इतने बड़ा आर्थिक समस्या नहीं देखी है। महामारी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से मानवता को अघात करने वाला सबसे बड़ा संकट रहा है। 1918 में आखिरी ऐसी महामारी स्पैनिश इन्फ्लुएंजा थी। कोरोना ने पहले ही 5,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई । श्रृंगला ने यह बात इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट (ICAI) के आत्मनिर्भर भारत अभियान पर कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कही। 

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श्रृंगला ने कहा कि भारत अनलॉक 2.0 में प्रवेश कर चुका है, हमारी सरकार का प्रयास आर्थिक गतिविधि और विस्तार करना है। हम कोरोना के कारण आने वाली चुनौतियों का आकलन करने और उनसे निपटने में सक्रिय रहे हैं। जान बचाना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है। कोरोना के मामले बढ़ रहे, लेकिन कम मृत्यु दर और ज्यादा रिकवरी रेट के कारण हमारा देश कई अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। यह लोगों की सुरक्षा और उन्हें बचाने के लिए उठाए गए शुरुआती कदमों का नतीजा है। हमने पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में अपनी क्षमताओं में काफी वृद्धि की है।  

विदेश सचिव ने कमजोर वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आर्थिक पैकेज के बार में भी बात की। इसे लेकरे उन्होंने कहा कि महामारी से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए और हमारी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए, प्रधानमंत्री द्वारा आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक पैकेज पैकेज की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को फिर से मजबूत करना और हमारे कमजोर वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। विदेश सचिव ने रेखांकित किया कि आत्मानिर्भरता का उद्देश्य वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की स्थिति सुनिश्चित करना है।


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