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Covid-19 Herd Immunity: जानिए क्यों कोरोना संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करना है मुश्किल

Covid-19 Herd Immunity हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी को हासिल करना मुश्किल है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 09:03 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 01:03 PM (IST)
Covid-19 Herd Immunity: जानिए क्यों कोरोना संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करना है मुश्किल
Covid-19 Herd Immunity: जानिए क्यों कोरोना संक्रमण के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करना है मुश्किल

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Covid-19 Herd Immunity कोविड-19 के मामले सामने आने के बाद से ही हर्ड इम्युनिटी को लेकर कई अध्ययन सामने आ चुके हैं। हाल ही में प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि कोविड-19 के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी को हासिल करना मुश्किल है। यह निष्कर्ष स्पेन की आबादी में एंटीबॉडी के स्तर पर आधारित है। अध्ययन के अनुसार, स्पेन की आबादी में से महज 5 फीसद लोगों में ही कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी विकसित हुई। यह अध्ययन स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय, इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ कार्लोस तृतीय और स्पेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली द्वारा वित्त पोषित था।

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हर्ड इम्युनिटी को इस तरह समझिए: हर्ड इम्युनिटी वह स्थिति है, जिसमें आबादी का एक निश्चित फीसद बीमार होने के बाद एंटीबॉडी के कारण बीमारी से प्रतिरक्षा प्राप्त कर लेता है, इस प्रकार संक्रमण शेष आबादी में फैलने से रुक जाता है। इस अवधारणा का प्रयोग आमतौर पर टीकाकरण के संदर्भ में किया जाता है। यह समुदाय तक उस वक्त पहुंच सकता है, जब संक्रमित होने के बाद पर्याप्त लोग प्रतिरक्षा प्राप्त कर लेते हैं। इसका आधार यह है कि यदि निश्चित फीसद लोग प्रतिरक्षा हासिल कर लेते हैं तो उस समूह के सदस्य अन्य किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकते हैं। यह समुदाय के माध्यम से संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ता है और उन लोगों तक पहुंचने से रोकता है, जो सबसे कमजोर होते हैं।

इसलिए महत्वपूर्ण है ये अध्ययन: यह यूरोप में अब तक का सबसे बड़ा सीरोलॉजिकल अध्ययन है और कोविड -19 संक्रमणों की सही संख्या को बताता है, जिसे प्रयोगशाला परीक्षणों द्वारा नहीं पकड़ा जा सकता। यह पूरे देश की जनसंख्या के लिए एक अनुमान प्रदान करता है। अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि कुल एंटीबॉडी रेंज 3.7 फीसद से 6.2 फीसद है। साथ ही जिन लोगों के टेस्ट में वायरस की पुष्टि हुई है जो कि बिना लक्षणों वाले हैं, उनकी अनुमानित संख्या स्पेन की आबादी में 3.76 लाख से 10.42 लाख तक थी।

95 फीसद लोग हैं असुरक्षित: यह बड़े पैमाने पर सेरोपीडेमियोलॉजिकल अध्ययन है। इसका निष्कर्ष है कि सार्स-कोविड-2 के जवाब में स्पेन की महज 5 फीसद आबादी में ही एंटीबॉडी विकसित हुई। इसका अर्थ है कि 95 फीसद लोगों को वायरस आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है। 27 अप्रैल से 11 मई के बीच हुए इस अध्ययन में 68,805 लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि देश की आबादी में प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट के जरिए 5 फीसद और इम्यूनोएस्से में 4.6 फीसद लोगों में ही एंटीबॉडी विकसित हुई। स्पेन के सात प्रांतों में जिनमें मेड्रिड भी शामिल है आबादी में एंटीबॉडी का स्तर 10 फीसद अधिक था। वहीं तटीय प्रांतों में सिर्फ र्बािसलोना में 5 फीसद अधिक था। आयु संबंधी निष्कर्षों में प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट के जरिए एक साल से कम उम्र के बच्चों में एंटीबॉडी का स्तर 1.1 फीसद, 5 से 9 साल के बच्चों में 3.1 फीसद और 45 या अधिक उम्र के लोगों में 6 फीसद पाया गया। उम्र बढ़ने के साथ इसका स्तर भी बढ़ता गया।

अस्वीकार्य हर्ड इम्युनिटी का दृष्टिकोण: इससे पूर्व के सभी अध्ययन वायरस के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन यह इस तर्क को मजबूत करता है कि उपचार या टीके के अभाव में इस स्तर पर हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करना संभव नहीं है। जर्मनी के वायरोलॉजिस्ट इसाबेल इकेरले और बेंजामिन मेयर ने द लैंसेट में लिखा, प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से हर्ड इम्युनिटी हासिल करने का दृष्टिकोण न केवल अनैतिक है, बल्कि यह अस्वीकार्य भी है। बड़ी संख्या में आबादी के संक्रमण के कारण वायरस दूसरी लहर के रूप में वापस आ सकता है।’ साथ ही यह अध्ययन स्पेन के साथ ही अन्य देशों के लिए भी संदेश देता है कि जिन देशों में कोविड-19 के उच्च प्रसार हुआ है और महामारी का अंत आने में अभी वक्त है, उन्हें प्रतिबंधों में ढील देने को लेकर सतर्क रहना होगा।

सिर्फ 5 फीसद एंटीबॉडी: महामारी की शुरुआत में ब्रिटेन ने अपनी रणनीति से संकेत दिया था कि कोरोना वायरस को देश की 60 फीसद आबादी को संक्रमित करने दिया जाएगा, जिससे हर्ड इम्युनिटी हासिल की जा सके। हालांकि स्पेन के डाटा से पता चलता है कि एक देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन से बहुत ही कम आबादी में एंटीबॉडी विकसित हुई है। इसे लेकर जर्मन वायरोलॉजिस्ट ने दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है। जिनमें संक्रमण के बाद इम्युनिटी को अपूर्ण और अस्थायी माना जाता है। यह कुछ महीनों से कुछ वर्षो तक होती है। दूसरा, अभी तक यह पता नहीं है कि क्या इन मरीजों को अन्य प्रतिरक्षा कार्या जैसे इम्युनिटी के द्वारा संरक्षण दिया जा सकता है।


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