कोविड-19 महामारी के कुप्रबंधन की जांच के लिए आयोग गठन की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
लिहाजा खामियों की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत एक स्वतंत्र जांच आयोग की नियुक्ति जरूरी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में कोविड-19 महामारी के कथित कुप्रबंधन की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाले आयोग से कराने की मांग की गई है। केंद्र को इसके निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है।याचिका में आरोप लगाया गया है कि वायरस का संक्रमण रोकने के लिए केंद्र सरकार समय पर और प्रभावी कदम उठाने में विफल रही। लिहाजा खामियों की जांच के लिए जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत एक स्वतंत्र जांच आयोग की नियुक्ति जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कार्यसूची के मुताबिक, सेवानिवृत्त नौकरशाहों समेत छह याचिकाकर्ताओं द्वारा दाखिल इस याचिका पर जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ 14 अगस्त को सुनवाई करेगी। अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिये दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि दुनिया में सबसे सख्त लॉकडाउन होने के बावजूद यह बीमारी का प्रसार रोकने में नाकाम रहा। यही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जनवरी की शुरुआत में ही जानकारी दे दिए जाने के बावजूद जनवरी और फरवरी में सरकार पर्याप्त संख्या में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग करने में विफल रही।
कोविड-19 प्रबंधन की हो रही संसदीय समीक्षा
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि संसदीय समितियों ने संसद सत्र स्थगित होने के साढ़े तीन महीनों में ही कोविड-19 महामारी के प्रबंधन की समीक्षा शुरू कर दी है। देश के मौजूदा हालात को देखते हुए इससे कम समय में संसदीय समितियों की बैठक आयोजित करना संभव भी नहीं था।महामारी के समय मीडिया की भूमिका की प्रशंसा करते हुए अपने फेसबुक पोस्ट में वेंकैया ने कहा, संसद का मानसून सत्र शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है। मैंने और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय समितियों की बैठकों और संसद के मानसून सत्र को लेकर अब तक कई बैठकें की हैं। संक्रमण से बचने के लिए जरूरी शारीरिक दूरी के मानदंड को देखते हुए सांसदों के बैठने की व्यवस्था के लिए विस्तृत विचार-विमर्श और योजना की आवश्यकता है।