Coronavirus: अस्पताल के स्टाफ मरीजों को ईश्वर पर भरोसा रखने का दे रहे हैं परामर्श
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती संक्रमित मरीज रोजना सुबह और शाम भजन-कीर्तन और प्रार्थना कर रहे हैं। डॉक्टर और नर्स भी वार्ड के बाहर शीशे के पास खड़े होकर इसमें सहभाग करते हैं।
अशोक आर्य, बरेली। जी हां, ईश्वर में आस्था दरअसल आत्मविश्वास का दूसरा नाम है। इस पैथी का प्रयोग बरेली में छह कोरोना संक्रमितों पर सफल रहा है। यह उदाहरण उन लोगों के लिए सुखद है, जो आस्थावान हैं। और जो नहीं हैं, जो आस्थाश्रद्धा-संस्कृति के इस विज्ञान को कपोल कल्पना व अवैज्ञानिक कह खारिज कर देते हैं, उनके लिए सबक और प्रेरणा है।
बरेली, उप्र स्थित जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कोरोना संक्रमित इस परिवार की बहू ने ये बातें जागरण के साथ फोन पर साझा कीं। कहा- कोरोना वायरस की भयावहता के बारे में देख-पढ़ रहे थे, लेकिन जब पता चला कि पति संक्रमित हो गए हैं तो परिवार के सभी लोग घबरा गए। फिर सभी के सैंपल लिए गए।
जांच रिपोर्ट आई तो सुनकर दिमाग सुन्न हो गया। मुझे, सास-ससुर और ननद, देवर को भी संक्रमित बताया गया। उसी दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम हम सभी को जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ले गई। एक कमरे में पूरा परिवार बैठा था मगर किसी के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। वह रात डरावनी थी, हम सभी पूरी रात जागते रहे। हमारी बेचैनी देखकर अस्पताल स्टाफ ने समझाया कि ईश्वर पर भरोसा रखो, खुद पर विश्वास रखो, बीमारी से लड़ोगे तो यह हार जाएगी, हार मान ली तो पार नहीं पाओगे। केवल इतना सुनकर ही हमें लगा कि हमें हार नहीं मानना है। लगने लगा कि सब ठीक हो जाएगा।
उन्होंने बताया, पहली रात डर था मगर अब हम सब सामान्य हैं। सुबह स्टाफ नर्स ने प्रार्थना कराई। फिर काउंसलिंग भी हुई, तब मन शांत हुआ। तब से नियमित प्रार्थना कराई जाती है। निश्चिंत रहने का प्रयास करते हैं, जो अब संभव हो सका है। परिवार का बेटा 22 मार्च को नोएडा से लौटा था, जहां नौकरी करता था। उसी से पत्नी, मां-पिता, भाई-बहन तक संक्रमण पहुंच गया। 29 मार्च को जब भर्ती कराया गया तो पहली रात बेहद तनाव भरी थी। घबराहट का आलम यह था कि दरवाजे पीटना शुरू कर दिया था। कह रहे थे कि सब कुछ खत्म हो गया। मरीजों की मन:स्थिति ठीक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल की मनोवैज्ञानिक को बुलवाया। मरीजों के साथ फोन पर बात कराई गई। उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों की काउंर्सिंलग की। इसके बाद से परिवार के सभी सदस्यों की दशा में सुधार है।
प्रार्थना और भजन-कीर्तन कर रहे संक्रमित...
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती संक्रमित मरीज रोजना सुबह और शाम भजन-कीर्तन और प्रार्थना कर रहे हैं। डॉक्टर और नर्स भी वार्ड के बाहर शीशे के पास खड़े होकर इसमें सहभाग करते हैं। टीवी पर प्रार्थना-भजनकीर्तन संबंधी वीडियो दिखाया जाता है। वह रोजाना सुबह योग और प्रणायाम कर रहे हैं। दिन में ध्यान साधना के साथ ही चालीसा पाठ भी करते हैं। गर्म पानी, और भाप लेते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि मनोदशा मजबूत करने के लिए यह जरूरी है।
सभी छह मरीज अब एकदम ठीक हैं। उनकी मानसिक दृढ़ता और शारीरिक मजबूती उन्हें संक्रमण से बाहर ले जा सकती है। लगातार यही प्रयास कर रहे हैं। शुरुआती तनाव के बाद अब इनकी मनोदशा ठीक है। उम्मीद है कि इलाज से अच्छे परिणाम आएंगे।
-डॉ. वागीश वैश्य, जिला अस्पताल, बरेली, उप्र