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Corononavirus: मशहूर शायर बशीर बद्र ने कहा था 'ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो’

Coronavirus लोगों से दूरी बनाकर रखें वायरस से बचना मुश्किल नहीं संक्रमण से बचाव के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाने में ही समझदारी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 12:46 PM (IST)
Corononavirus: मशहूर शायर बशीर बद्र ने कहा था 'ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो’
Corononavirus: मशहूर शायर बशीर बद्र ने कहा था 'ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो’

जेएनएन, नई दिल्ली। Coronavirus शायर बशीर बद्र ने लिखा है, ‘कोई हाथ भी न मिलाएगा, जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिजाज का शहर है, जरा फासले से मिला करो।’ ये पंक्तियां भले ही अन्य संदर्भ में लिखी गई हों, लेकिन फिलहाल कोरोना की दहशत के बीच बहुत सटीक साबित हो रही हैं। कोरोना ने हाथ मिलाने और गले मिलने की रवायत को तो नमस्ते में बदल ही दिया है, अब विशेषज्ञ लोगों को एक-दूसरे से जरा फासले से मिलने की सलाह भी देने लगे हैं। 

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कोरोना के खिलाफ जंग : यह फासला वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस यानी कोविड-19 से लड़ने में आपका सबसे अहम हथियार हो सकता है। लोगों से तीन से छह फीट का फासला आपको वायरस से दूर बनाए रखने में मददगार होगा। कोरोना के खिलाफ जंग में इन दिनों एक शब्द काफी सुनने में आ रहा है, वह है ‘सोशल डिस्टेंस’। इसका सीधा सा अर्थ है कि अगर कोई व्यक्ति कहीं किसी भी माध्यम से कोरोना से संक्रमित हो गया हो, तो अन्य स्वस्थ लोग उसके संपर्क में आने से बचे रहें।

‘सोशल डिस्टेंस’ की पूरी अवधारणा : 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग और किसी बीमारी का सामना कर रहे लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। ऐसे में इन लोगों को ज्यादा से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। जहां तक संभव हो, किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें। लोगों से बातचीत के दौरान करीब छह फीट की दूरी बनाकर रखें। ‘सोशल डिस्टेंस’ की पूरी अवधारणा इस बात और विचार पर केंद्रित है कि कैसे कोरोना के प्रसार की गति को कम किया जाए। जानकारों का कहना है कि भले ही एक लंबी अवधि में कुल मरीजों की संख्या बराबर हो, लेकिन अगर लोगों के संक्रमित होने की गति धीमी रहे, तो संभालना ज्यादा आसान होगा। संक्रमण धीमा रहे तो अस्पतालों पर दबाव कम पड़ता है। इलाज बेहतर तरीके से मिल पाता है।

सेल्फ क्वारंटाइन भी जरूरी: वायरस के प्रसार को रोकने में सेल्फ क्वारंटाइन होना भी एक अहम कदम है। आमतौर पर जब किसी में संक्रमण की पुष्टि होती है, तो उसे सबसे अलग रखा जाता है। इसी प्रक्रिया को क्वारंटाइन करना कहते हैं। सेल्फ क्वारंटाइन की अवधारणा इस पर केंद्रित है कि अगर आप किसी भी ऐसी जगह से आए हैं, जहां वायरस का संक्रमण है, तो आपको खुद ही कुछ समय के लिए सबसे अलग हो जाना चाहिए।

जरूरी एहतियात

  • सैनिटाइजर से हाथों को साफ करते रहें
  • आंख, नाक और चेहरे को छूने से बचें
  • संभव हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं करें
  • सीढ़ियों की र्रेंलग को पकड़कर न चलें
  • खांसते समय हमेशा मुंह पर रुमाल रखें
  • साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें
  • बहुत जरूरी होने पर ही यात्रा करें
  • लक्षण दिखने पर बिना देर किए जांच कराएं

अनुमान से ज्यादा बढ़ गया है खतरा: कोविड-19 का खतरा फिलहाल अनुमान से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। चीन में जिस समय इसके मामले सामने आने शुरू हुए थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह वायरस 150 से ज्यादा देशों को चपेट में ले लेगा। वायरस बहुत जानलेवा नहीं है, लेकिन अगर दुनिया की 80 फीसद आबादी इससे संक्रमित हो जाए, तो एक फीसद की मृत्युदर भी आंकड़े को बहुत बड़ा बना देगी। (स्रोत : मीडिया रिपोर्ट एवं न्यूयॉर्क टाइम्स)

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