कोरोना ने पैदा की नई समस्याएं, साल 2021 में मानसिक स्वास्थ्य होगा बड़ी चुनौती, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वैक्सीन आने के बाद कोरोना के खिलाफ लड़ाई जैसे जैसे निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है... उम्मीद जताई जा रही है कि हम जल्द ही इस महामारी से बाहर निकलने में कामयाब होंगे। हालांकि आशंका यह भी है कि इसका प्रभाव हमारी मानसिकता पर बना रहे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। कोविड-19 वैक्सीन आने के बाद से ही उम्मीद जताई जा रही है कि हम जल्द ही इस महामारी से बाहर निकलने में कामयाब होंगे। वैक्सीन के जरिये शारीरिक खतरे का प्रबंध बेहतर ढंग से किया जा सकता है, लेकिन अब भी इस बात की संभावना है कि महामारी का अमिट प्रभाव हमारी सामूहिक मानसिकता पर बना रहे। महामारी के कारण बहुत से लोगों को पिछले साल कई तरह से मानसिक संघर्ष झेलने पड़े हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 2021 में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सामने लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बड़ी चुनौती होगा।
पहले से ज्यादा तनावपूर्ण है जीवन
महामारी से पूर्व भी जीवन तनावपूर्ण था, लेकिन नई चुनौतियों ने इसे और बढ़ा दिया है। आइसोलेशन ने अकेलेपन को बढ़ाया है, जिसने हर उम्र के लोगों को प्रभावित किया है। अमेरिका की सार्वजनिक स्वास्थ्य एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष और अटलांटा की एमोरी यूनिवसिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की कार्यकारी प्रबंधक लीसा कार्लसन ने कहा कि आप तनाव का प्रबंधन कैसे करते हैं, यह महामारी से राहत पाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमें मूल बातों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। स्वस्थ भोजन करना, घूमना, पालतू जानवरों और प्रियजनों के साथ वक्त बिताना काफी महत्वपूर्ण है।
महामारी का नींद पर असर
फेफड़ों और निद्रा के विशेषज्ञ डॉ. राज दासगुप्ता ने कहा कि कुछ लोगों के लिए घर पर ज्यादा वक्त बिताने का अर्थ है अधिक झपकी लेना। इसके अलावा तनाव, कोई आघात और नई चुनौतियां अन्य ऐसे कारण हैं, जिनके कारण नींद में खलल और परेशानी होती हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में मौत के गवाह रहे फ्रंटलाइन वर्कर्स और क्रूज शिप्स में फंसने वाले लोग तनाव का अनुभव कर सकते हैं, जो अनिद्रा रोग और बुरे सपनों का कारण हो सकता है।
काम और घर में रखें अंतर
डॉ. दासगुप्ता के मुताबिक, यदि आप काम और घर में अंतर नहीं करते हैं तो यह असामान्य नींद का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि कई लोगों का वजन बढ़ रहा है। जब हम नींद के दौरान श्वसन मार्ग के अवरुद्ध होने जैसी चीजों के बारे में बात करते हैं तो ज्यादा वजन हमेशा जोखिम कारक होता है। यह अवसाद और चिंता का कारण भी हो सकता है। नींद की गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी है। सोने और जागने के सामान्य चक्र के लिए पर्याप्त धूप प्राप्त करना, उचित दिनचर्या का विकास करना और रिलेक्स करने वाली विभिन्न तकनीकों का अभ्यास 2021 में महत्वपूर्ण होगा।
आइसोलेशन के दौरान पैदा हुई परेशानी
आइसोलेशन के दौरान ईटिंग डिसऑर्डर (असामान्य भोजन करना) का शिकार हो गए। अमेरिका के नेशनल ईटिंग डिसऑर्डर एसोसिएशन के कम्यूनिकेशन मैनेजर चेल्सी क्रोननगोल्ड के अनुसार, ईटिंग डिसऑर्डर के कारण तनाव, अकेलापन और अन्य मानसिक विकार पैदा हो सकते हैं। हालांकि यह सिर्फ आइसोलेशन के वक्त नहीं होता है, बल्कि भोजन से दूर होने की चिंता और अपराधबोध के कारण भी हो सकता है।
संक्रमित नहीं लेकिन हैं बीमार
पहली बार लक्षण दिखाई देने के बाद से कुछ लोग कोविड-19 से महीनों या कई सप्ताह से ठीक नहीं हुए हैं। कुछ लोग लोग कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं रहे लेकिन लंबे समय तक वे श्वसन और न्यूरोलॉजिकल प्रभावों को अनुभव करते हैं, क्योंकि वे कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं, मानसिक प्रभाव भी आखिर में ऐसे ही होते हैं। कार्लसन के मुताबिक, यह उनके और उनके प्रियजनों के लिए संघर्ष का कारण बनता जा रहा है। वह कैसा महसूस करते हैं और अन्य लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं।
कुछ अच्छा भी है...
महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए अधिक ईमानदारी और सहानुभूति की सुविधा प्रदान की है, जो कुछ लोगों को मदद मांगने से रोकने वाले कलंक को खत्म करने की चाबी है। एक और सकारात्मक बात यह है कि अधिक लोग या तो दूसरों की मदद के लिए पहुंच रहे हैं या दूसरों की सेवा कर रहे हैं। बहुत से लोग स्वास्थ्य सेवाओं का सहारा ले रहे हैं तो कुछ अपनी रुचि और कोशिश के माध्यम से इससे पार जाने की कोशिश में जुटे हैं। कार्लसन ने कहा कि हम हर बार सार्वजनिक स्वास्थ्य की बात करते हैं, लेकिन हमें मानसिक स्वास्थ्य की बात करनी चाहिए।