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Coronavirus News Update: त्वचा पर नौ घंटे तक सक्रिय रह सकता है कोरोना वायरस

मेडिकल जर्नल क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार प्रयोगशाला में त्वचा पर शोध के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस त्वचा पर नौ घंटे से ज्यादा सक्रिय रह सकता है जबकि एंफ्लूएंजा जैसे वायरस सिर्फ दो घंटे तक सक्रिय रहते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 08:40 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 11:26 AM (IST)
Coronavirus News Update: त्वचा पर नौ घंटे तक सक्रिय रह सकता है कोरोना वायरस
कोरोना वायरस त्वचा पर नौ घंटे से ज्यादा सक्रिय रह सकता है

नई दिल्‍ली, जेएनएन। कोरोना वायरस पर दुनियाभर में अध्ययन जारी हैं। हर दिन कोई न कोई नई जानकारी सामने आती है। ऐसे ही एक अध्ययन में पता चला है कि कोरोना वायरस त्वचा पर कई घंटे तक सक्रिय रह सकता है। इसमें यह बात भी सामने आई है कि सामान्य मास्क असुविधाजनक तो हो सकते हैं, लेकिन इनसे फेफड़ों के नुकसान का खतरा नहीं है।

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सार्वजनिक स्थल पर जरूर पहनें फेस : मास्क, फेफड़ों को नहीं होता नुकसान शोधकर्ताओं का दावा है कि सामान्य फेस मास्क असुविधाजनक तो हो सकते हैं, लेकिन वे फेफड़ों के लिए जरूरी ऑक्सीजन के प्रवाह को रोक नहीं सकते। यहां तक कि फेफड़ों की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को भी मास्क पहनने से नुकसान नहीं होता।

शोधकर्ताओं ने गैस एक्सचेंज प्रक्रिया के तहत सर्जिकल मास्क पहनने के प्रभाव का अध्ययन किया। शरीर में उपलब्ध खून में ऑक्सीजन के प्रवेश व कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन की प्रक्रिया को गैस एक्सचेंज कहते हैं। अध्ययन में 15 स्वस्थ फिजिशियन व फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित सेना के अवकाशप्राप्त 15 सैनिकों को शामिल किया गया। उन्हें मास्क पहनाकर ठोस सतह पर छह मिनट तक चलाया गया है। इससे पहले और बाद में भी उनके खून में ऑक्सीजन व कार्बन डाईऑक्साइड की उपलब्धता के स्तर की जांच की गई। दोनों में से किसी के गैस एक्सचेंज पैमाने पर कोई असर नहीं पड़ा।

15 सेकेंड में निष्क्रिय भी हो सकता है वायरस : मेडिकल जर्नल क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, प्रयोगशाला में त्वचा पर शोध के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस त्वचा पर नौ घंटे से ज्यादा सक्रिय रह सकता है, जबकि एंफ्लूएंजा जैसे वायरस सिर्फ दो घंटे तक सक्रिय रहते हैं। हालांकि, त्वचा पर 80 फीसद अल्कोहल वाले सैनिटाइजर को 15 सेकेंड तक रगड़ने के बाद ये दोनों ही वायरस निष्क्रिय हो जाते हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर के इस्तेमाल या 20 सेकेंड तक साबुन-पानी से अच्छी तरह हाथ धोकर कोरोना संक्रमण के खतरे को टाला जा सकता है।

अच्छी नींद भी है जरूरी : शोधकर्ताओं ने फिनलैंड के नेशनल डाटाबेस का उपयोग करते हुए अध्ययन में बताया है कि अगर किसी कोरोना संक्रमित को नींद संबंधी परेशानी है तो उसकी स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है। उन्होंने पाया कि अगर किसी को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानी ओएसए की समस्या है तो कोरोना संक्रमण की स्थिति में उसे अस्पताल में भर्ती किए जाने का खतरा पांच गुना बढ़ जाता है।


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