Corona Updates: लक्षण के बावजूद टेस्टिंग नहीं कराने वालों ने बढ़ाई सरकार की चिंता
एक सर्वे के मुताबिक 48 फीसदी लोग एक या दो ऐसे लोगों को जानते हैं जिन्होंने कोरोना का लक्षण होने के बावजूद इसका टेस्ट नहीं कराया
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना के लक्षण होने के बावजूद टेस्ट नहीं कराने वालों की बढ़ती संख्या ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के लिए गठित एक उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पॉल के अनुसार खुद उस व्यक्ति के लिए और साथ ही पूरे समाज और सिस्टम के लिए खतरनाक स्थिति है। उन्होंने कहा कि कोरोना का टेस्ट अब सर्वसुलभ है और इससे भागने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए।
48 फीसद लोग को है लक्षण के बावजूद टेस्टिंग नहीं कराने वाले की जानकारी
लोकल सर्किल के एक सर्वे के मुताबिक 48 फीसदी लोग एक या दो ऐसे लोगों को जानते हैं, जिन्होंने कोरोना का लक्षण होने के बावजूद इसका टेस्ट नहीं कराया और घर पर रहकर खुद इलाज करना बेहतर समझा। लोकल सर्किल ने देश के 221 जिलों में 24 हजार लोगों के बीच यह सर्वे किया है। सर्वे से साफ है कि देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है, जिन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ, लेकिन उन्होंने न तो टेस्ट कराया और न ही डाक्टर से इलाज कराया। बात सिर्फ लोगों के खुद टेस्ट कराने से बचने तक नहीं है।
राज्य सरकारें भी टेस्टिंग के नियमों का नहीं कर रही है पालन
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक कई राज्य कोरोना के लक्षण वाले मरीजों का एंटीजन टेस्ट में निगेटिव निकलने के बाद आरटी-पीसीआर टेस्ट नहीं करा रहे हैं। जबकि ऐसा करना जरूरी है। उनके अनुसार वायरस से लड़ने का एक ही तरीका है, पीछा करके उसके पकड़ना। लेकिन वायरस को तब तक पकड़ा नहीं जा सकता है, जबतक वायरस के फैलाने वालों लोगों का पता नहीं लगाया जाता। जाहिर है टेस्टिंग नहीं होने या अधूरी टेस्टिंग होने से वायरस के फैलने का पूरा मौका मिल रहा है। डाक्टर पॉल ने कहा कि हमें ऐसी व्यवस्था करनी होगी, ताकि लोग टेस्टिंग से डरे नहीं।