ठीक होने के बाद कोरोना मरीजों को मस्तिष्क से जुड़े रोगों का खतरा, IIT इंदौर ने चेताया
कोरोना के पार्श्व प्रभावों के अध्ययन में जुटी आइआइटी इंदौर की टीम ने चेताया। मेनिनजाइटिस और मस्तिष्क में सूजन का खतरा भी कोविड-19 ने बढ़ाया - नाक के साथ ही रक्त और पेट के जरिये भी वायरस पहुंच रहा है मस्तिष्क तक।
इंदौर, जेएनएन। कोरोना महामारी का कारण बना कोविड-19 वायरस अब तक जितना सोचा गया है, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर ने अपने शोध के आधार पर यह चेतावनी दी है। इसके मुताबिक कोविड-19 वायरस मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता रखता है। ठीक हो चुके कोरोना मरीजों में लंबे समय बाद स्नायविक (न्यूरोलाजिकल) रोग लंबे समय के बाद सामने आ सकते हैं।
आइआइटी के बायोसाइंस और बायोमेडिकल इंजीनिय¨रग विभाग के प्राध्यापकों ने कहा है कि कोरोना पर काबू पाने के बाद उसके स्नायविक प्रभाव से मुकाबले के लिए हमें तैयार हो जाना चाहिए। आने वाले वर्षो में मेनिनजाइटिस और मस्तिष्क में सूजन जैसी बीमारियां भी बढ़ेंगी। इसके लिए जिम्मेदार कोविड-19 वायरस ही होगा।
आइआइटी के बायोसाइंस और बायोमेडिकल साइंस विभाग के प्राध्यापक डॉ. हेमचंद्र झा के साथ तीन अन्य शोधार्थियों श्वेता जखमोला, ओमकार इंदौरी और इंटर्न सायंतनी चटर्जी ने मिलकर कोविड-19 के भविष्य के असर पर शोधपत्र प्रकाशित किया है। डॉ. झा के अनुसार कोविड-19 वायरस पर विश्वभर में अब तक प्रकाशित हो चुके सभी शोधपत्रों का अध्ययन उनकी टीम ने किया। साथ ही बीते दिनों दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल, इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज, चोइथराम अस्पताल के साथ ही ओडिशा के एक अस्पताल में भी उनकी टीम कोविड-19 संक्रमित मरीजों पर अध्ययन कर रही है।
डॉॅ. झा कहते हैं कि शोध अब भी जारी है। अब तक के अध्ययन के नतीजों से यह सामने आया है कि कोविड-19 का प्रारंभिक असर तो फेफड़े और श्वसन तंत्र पर नजर आता है, लेकिन यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के स्नायविक तंत्र यानी मस्तिष्क से जुड़ी कोशिकाओं और प्रणाली को भी प्रभावित करता है।
डॉॅ. झा के अनुसार यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर के नर्वस सिस्टम में प्रविष्ट होने में कामयाब रहा है। नाक के साथ ही रक्त और पेट के जरिये भी वायरस मस्तिष्क तक पहुंच रहा है। इसकी खास वजह है कि वायरस शरीर में पाए जाने वाले एस-टू रिसेप्टर्स के जरिये अवशोषित हो जाता है। ये रिसेप्टर अंदरूनी अंगों में होते हैं।
शोध पत्र के निष्कर्ष के आधार पर डॉॅ. झा ने चेताया है कि संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में भविष्य में मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां नजर आने की आशंका बढ़ गई है। लिहाजा मरीजों के साथ स्वास्थ्य विभाग और ठीक हुए मरीजों और उनके स्वजन को भी इसके लिए तैयार हो जाना चाहिए कि अगर मस्तिष्क से जुड़े लक्षण और बीमारियों के संकेत संक्रमण से ठीक हुए लोगों में नजर आए तो समय रहते पहचान कर उपचार और देखभाल के लिए तैयार रहें। इससे आगे बढ़कर डॉॅ. झा यह भी कह रहे हैं कि कोविड-19 के स्नायविक तंत्र को प्रभावित करने की यह क्षमता भविष्य में इससे ज्यादा प्रभावित रहे क्षेत्रों में लोगों में स्थायी अक्षमता भी बढ़ा सकती है।